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    Varalakshmi Vrat 2024: वरलक्ष्मी व्रत पर ऐसे करें धन की स्‍वामिनी को प्रसन्न, पूरे साल सुख-समृद्धि से भरा रहेगा घर

    Updated: Fri, 16 Aug 2024 02:03 PM (IST)

    सनातन धर्म में वरलक्ष्मी व्रत का बेहद महत्व है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विवाहित महिलाएं कठिन व्रत का पालन करती हैं। साथ ही विधिवत धन की देवी की पूजा करती हैं। वहीं इस शुभ दिन पर मां अष्टलक्ष्मी की पूजा का भी विधान है तो चलिए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Varalakshmi Vrat 2024: महालक्ष्मी स्तोत्र और अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में वरलक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है। इस साल यह पवित्र व्रत दिन शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 यानी आज रखा जा रहा है। यह शुभ दिन देवी वरलक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है, जो समृद्धि और दिव्य कृपा की प्रतिमूर्ति हैं। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन (Varalakshmi Vrat) पर मां के लिए व्रत रखने से सुख और शांति में वृद्धि होती है।

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    साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, इस तिथि पर महालक्ष्मी स्तोत्र और अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ भी परम कल्याणकारी माना गया है, तो आइए यहां पढ़ते हैं -

    ।।महालक्ष्मी स्तोत्र।।

    नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

    एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

    त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

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    ।।अष्टलक्ष्मी स्तोत्र।।

    आदि लक्ष्मी

    सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये । मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुते ।

    पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते । जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ।

    धान्य लक्ष्मी

    अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये । क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।

    मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते । जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ।

    धैर्य लक्ष्मी

    जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये । सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।

    भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते । जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम् ।

    गज लक्ष्मी

    जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये । रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते ।

    हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते । जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।

    संतान लक्ष्मी

    अयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये । गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते ।

    सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते । जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय माम् ।

    विजय लक्ष्मी

    जय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये । अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते ।

    कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे । जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम् ।

    विद्या लक्ष्मी

    प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये । मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे ।

    नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते । जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ।

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