Valmiki Jayanti 2025 Wishes: महर्षि वाल्मीकि जयंती पर अपनों को इन संदेशों से भेंजे शुभकामनाएं
महर्षि वाल्मीकि रामायण के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं। वाल्मीकि जी को उनकी विद्वता और तपस्या के कारण महर्षि की उपाधि मिली थी। उन्होंने रामायण जैसे महत्वपूर्ण महाकाव्य की रचना की और उन्हें संस्कृत के पहले कवि के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में आप इस विशेष दिन पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं (Valmiki Jayanti wishes) भेज सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विम माह की पूर्णिमा तिथि पर वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti 2025) मनाई जाती है। ऐसे में आज यानी 7 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है। उनके द्वारा संस्कृत में लिखा गया रामायण महाकाव्य हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। इस खास मौके पर आप आप अपने प्रियजनों को इन शुभ संदेशों के जरिए वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं।
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं (Happy Valmiki Jayanti 2025 Wishes)
गुरु हम सभी को देते हैं ज्ञान
गुरु होते हैं सबसे महान।
वाल्मीकी जयंती के शुभ मौके पर
आओ अपने गुरु को करें प्रणाम।
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
रामायण के हैं जो रचयिता,
संस्कृत के हैं जो कवि महान,
ऐसे पूज्य गुरुवर के
चरणों में हमारा प्रणाम
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं!
दया के सागर, ज्ञान के स्रोत,
महाकवि वाल्मीकि का अद्भुत कृतित्व असीम,
रामायण के रचयिता को शत्-शत् नमन,
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं!
आपको ज्ञान मिले ऋषि वाल्मीकि से,
धन-दौलत-वैभव मिले मां लक्ष्मी से,
आपको विद्या मिले देवी सरस्वती से,
सुख-शांति और उन्नति मिले प्रभु श्री राम से।
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिख
मानवता पर किया उपकार है।
इसलिए वाल्मीकि जयंती पर
पूरा विश्व कर रहा नमस्कार है।
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
लिख दी जिसने कथा पवित्र सीता-राम की,
साथ ही बताई भक्ति रामभक्त हनुमान की,
प्रेम भाई भरत और लक्ष्मण का अनूठा,
कैसे मां कौशल्या दशरथ से भाग्य रूठा।
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं!
महर्षि वाल्मीकि जी ने लिखी,
कथा श्री राम जी की,
हमको बताई ऋषिवर ने,
बातें महापुराण रामायण की
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं!
इस तरह की रामयण की रचना
रामायण महाकाव्य की रचना से संबंधित कथा के अनुसार, एक बार एक शिकारी ने प्रेम में मग्न क्रोंच पक्षी की हत्या कर दी। इसपर वाल्मिकी जी ने उस शिकारी को यह श्राप दिया कि "हे निषाद, तुम्हें कभी शांति न मिले, क्योंकि तुमने क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक को मार डाला"। यह श्राप ही रामायण का पहला श्लोक बना। तब ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने वाल्मीकि जी को काव्य के रूप में भगवान श्रीराम के संपूर्ण के चरित्र की रचना के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की।
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