Sankashti Chaturthi 2023: वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर 'शिव' योग समेत बन रहे हैं ये 6 संयोग, मिलेगा कई गुना फल
धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी तिथि पर व्रत रख भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करें। ज्योतिषियों की मानें तो वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी तिथि पर दुर्लभ शिव योग समेत 6 अद्भुत संयोग बन रहे हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Vakratund Sankashti Chaturthi 2023: हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 1 नवंबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी तिथि पर व्रत रख भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। ज्योतिषियों की मानें तो वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी तिथि पर दुर्लभ शिव योग समेत 6 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में गणेश जी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और 1 नवंबर को 09 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अत: 1 नवंबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
शिव योग
ज्योतिषियों की मानें तो वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से हो रहा है, जो दिनभर है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 33 मिनट से लेकर अगले दिन 02 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट तक है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी।
करण
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वप्रथम बव करण का निर्माण हो रहा है। वणिज करण सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद बालव करण का निर्माण हो रहा है, जो रात 09 बजकर 30 मिनट तक है। वहीं, रात्रि में 09 बजकर 30 मिनट के बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष इन करणों को शुभ मानते हैं। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही पूजा करना शुभ फलदायी होता है।
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