Vaishakh Shukra Pradosh Vrat 2025: कब है शुक्र प्रदोष व्रत? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
शुक्र प्रदोष व्रत का खास महत्व है। शुक्रवार के दिन पड़ने की वजह से यह व्रत जीवन में सुख शांति प्रेम और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना जा रहा है। इस व्रत (Vaishakh Shukra Pradosh Vrat 2025) को करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। ऐसी मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख का महीना भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। इस माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का भी विशेष महत्व है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। त्रयोदशी तिथि जब शुक्रवार के दिन पड़ती है, तो इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और प्रेम बढ़ता है, तो आइए यहां जानते हैं कि वैशाख माह का पहला शुक्र प्रदोष व्रत (Vaishakh Shukra Pradosh Vrat 2025) कब है?
शुक्र प्रदोष व्रत कब है? (Shukra Pradosh Vrat 2025 Kab Hai?)
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 26 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 27 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत पर शाम की पूजा का महत्व है। ऐसे में इस बार 25 अप्रैल को वैशाख माह का पहला शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त (Vaishakh Shukra Pradosh Vrat 2025 Puja Muhurat)
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा संध्याकाल यानी सूर्यास्त के बाद की जाती है। 25 अप्रैल 2025 को शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 09 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। इस समय भगवान शिव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि (Vaishakh Shukra Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करें।
- घर के मंदिर को साफ करें और शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
- व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव का ध्यान करें।
- प्रदोष काल में शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।
- प्रतिमा को गंगाजल से स्नान( साफ करें) कराएं।
- अभिषेक करते समय शिव जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- शिवलिंग पर चंदन, गुलाल, बेलपत्र, धतूरा और पुष्प आदि चीजें अर्पित करें।
- धूप और दीप जलाएं।
- भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- भगवान शिव की स्तुति करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- शुक्र प्रदोष व्रत कथा का पाठ जरूर करें।
- आखिरी में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- पूजा के बाद प्रसाद को बांटें।
- अगले दिन सुबह स्नान के बाद भगवान शिव की पूजा करें और फिर व्रत का पारण करें।
यह भी पढ़ें: Varuthini Ekadashi 2025: कब और क्यों मनाई जाती है वरूथनी एकादशी? जानिए महत्व
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।