Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Varuthini Ekadashi 2025: कब और क्यों मनाई जाती है वरूथनी एकादशी? जानिए महत्व

    वैशाख का महीना भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस महीने में वरूथनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) और मोहिनी एकादशी व्रत किया जाता है। साथ ही भक्त ही श्रीहरि और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है और जीवन खुशहाल होता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Fri, 18 Apr 2025 09:27 AM (IST)
    Hero Image
    Varuthini Ekadashi 2025: वरूथनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस व्रत को हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाता है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति को पापों से छुटकारा मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वरूथनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) कब और क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इस व्रत के धार्मिक महत्व के बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वरूथिनी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर वरूथिनी एकादशी व्रत किया जाता है। इस तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल (Kab Hai Varuthini Ekadashi 2025) को शाम 04 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में 24 अप्रैल (Varuthini Ekadashi 2025 Date) को वरूथिनी एकादशी व्रत किया जाएगा और अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर वरूथिनी एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। 25 अप्रैल को व्रत पारण करने का समय सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 23 मिनट तक है।

    यह भी पढें: Varuthini Ekadashi 2025: वरूथिनी एकादशी व्रत पर करें मां तुलसी के इन मंत्रों का जाप, पूरी होंगी सभी मुरादें

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 13 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक

    वरूथिनी एकादशी व्रत कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मान्धाता नाम के राजा के पैर को एक जंगली भालू ने काट लिया, जिससे राजा बेहद डर गया। इस स्थिति में राजा ने श्रीहरि में जीवन की रक्षा के लिए प्रार्थना की। प्रभु ने राजा से कहा कि वरूथिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। राजा ने विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के शुभ फल प्राप्ति से राजा सुंदर शरीर वाला हो गया। इसी प्रकार से वरूथिनी एकादशी की शुरुआत हुई।

    भगवान विष्णु के मंत्र (Shri Vishnu Mantra)

    • ॐ अं वासुदेवाय नम:
    • ॐ आं संकर्षणाय नम:
    • ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
    • ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:

    यह भी पढें: Varuthini Ekadashi 2025 Vrat Rules: वरूथिनी एकादशी व्रत में न खाएं ये चीजें, खंडित हो सकता है उपवास

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।