Vaishakh Amavasya पर पूजा के समय करें ये आसान उपाय, पितृ दोष से मिलेगी राहत
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व (Vaishakh Amavasya Importance) है। इस दिन गंगा स्नान करने का विधान है। इसके बाद पूजा जप-तप और दान किया जाता है। वैशाख अमावस्या पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही घर में व्याप्त सभी प्रकार की अस्थिरता से भी मुक्ति मिलती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 को वैशाख अमावस्या है। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होता है। इसके लिए अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। साथ ही गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान कर भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
गरुड़ पुराण में निहित है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पितरों की कृपा से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इस दिन कालसर्प दोष और पितृ दोष का भी निवारण किया जाता है। अगर आप भी पितृ दोष से पीड़ित हैं, तो वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2025 Upay) के दिन पूजा के समय ये उपाय जरूर करें। इन उपायों को करने से व्यक्ति को पितृ दोष से राहत मिलती है।
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पितृ दोष के उपाय
- वैशाख अमावस्या के सुविधा होने पर गंगा स्नान करें। वहीं, असुविधा होने पर घर पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। इसके बाद गंगाजल या सामान्य जल में काले तिल मिलाकर पीपल के पेड़ में जल का अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से साधक पर पितरों की कृपा बरसती है।
- वैशाख अमावस्या पर गंगा स्नान करें। इसके बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों का तर्पण करें। तीन पीढ़ी के पतरों को मोक्ष दिलाने के लिए तीन बार तर्पण करें। इस समय पितरों से सुख और समृद्धि की कामना करें।
- पितृ दोष से निजात पाने के लिए वैशाख अमावस्या पर स्नान-ध्यान के बाद पितरों का जल का अर्घ्य दें। इस समय पितृ चालीसा, कवच और स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद पशु-पक्षी को भोजन दें।
- वैशाख अमावस्या पर दान करने का खास महत्व है। इसके लिए पितरों का तर्पण करने के बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें। साधक दूध, दही, चावल, गेहूं, नमक, काले तिल और कपड़े का का दान करें ।
- वैशाख अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद गंगाजल में काले तिल और सुगंध मिलाकर देवों के देव महादेव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से भी कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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