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    Vaishakh Darsh Amavasya 2025: अमावस्या पर इस नियम से करें पिंडदान, पूर्वजों की आत्मा को मिलेगी मुक्ति

    दर्श अमावस्या पर पिंडदान करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी माना गया है। यह दिन पूर्वजों को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल (Vaishakh Amavasya 2025) को मनाई जाएगी। कहते हैं कि जिन जातकों को अपने पितरों की तिथि नहीं पता है वे इस दिन उनका तर्पण कर सकते हैं। इससे उन्हें मुक्ति मिलेगी।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 24 Apr 2025 10:55 AM (IST)
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    Vaishakh Darsh Amavasya 2025: पितरों को ऐसे करें खुश।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास की अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस साल यह तिथि (Vaishakh Darsh Amavasya 2025) 27 अप्रैल को पड़ रही है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है और यह पितरों को समर्पित है। इस दिन पिंडदान करने का विधान है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितरों का विधिपूर्वक पिंडदान करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है, तो आइए दर्श अमावस्या पर पिंडदान करने के नियम और महत्व के बारे में जानते हैं।

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    पिंडदान के नियम (Vaishakh Darsh Amavasya 2025 Pind Daan Rules)

    • पिंडदान किसी पवित्र नदी के किनारे तीर्थ स्थान पर करना चाहिए, लेकिन किसी वजह से आप नहीं जा पा रहे हैं, तो आप घर पर भी कर सकते हैं।
    • पिंडदान का उत्तम समय दोपहर का माना जाता है।
    • पिंडदान के लिए पिंड मुख्य रूप से चावल के आटे, जौ के आटे या गेहूं के आटे से बनाए जाते हैं।
    • इसके अलावा काले तिल, शहद, घी, दूध और कुशा का प्रयोग किया जाता है।
    • पिंडदान करने से पहले स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें।
    • पितरों का ध्यान करते हुए कुश की पवित्री धारण करें।
    • थाली में पिंड, जल, तिल, कुशा और फूल रखें।
    • पितरों का आह्वान करें और मंत्रों का उच्चारण करते हुए पिंड अर्पित करें।
    • पिंड अर्पित करने के बाद उस पर जल और काले तिल डालें।
    • पितरों की तृप्ति के लिए प्रार्थना करें।
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें।

    वैशाख अमावस्या का महत्व (Vaishakh Darsh Amavasya 2025 Pind Daan Significance)

    • दर्श अमावस्या पर पिंडदान करने का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।
    • पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है।
    • इससे पितृ प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि, आरोग्य और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
    • माना जाता है कि पिंडदान करने से वंश वृद्धि में होती है। साथ ही आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
    • पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं।
    • पिंडदान से घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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    वैशाख अमावस्या पूजा मंत्र (Vaishakh Darsh Amavasya 2025 Puja Mantra)

    • ॐ पितृ देवतायै नम:।।
    • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
    • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।।
    • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।