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    Mahakal Baba Shringar: प्रत्येक दिन क्यों अलग-अलग किया जाता है महाकाल का शृंगार?

    Updated: Sat, 15 Mar 2025 03:11 PM (IST)

    महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के महाकाल स्वरूप को समर्पित है। यह धाम12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं भोलेबाबा उनके सभी कष्टों को हर लेते हैं तो आइए इससे (Mahakal Baba Shringar Significance) जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Mahakal Baba Shringar: महाकाल के शृंगार का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर विराजमान है। कहा जाता है कि उज्जैन के पूर्व राजा चंदप्रद्योत के पुत्र कुमारसेन ने छठी शताब्दी ईस्वी में मंदिर का निर्माण कराया था। इसके बाद में 12वीं शताब्दी में राजा उदयादित्य और राजा नरवर्मन के नेतृत्व में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसके दर्शन करने के लिए हर रोज भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। साथ ही लोगों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

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    आज हम अपने इस आर्टिकल में महाकाल बाबा (Ujjain Mahakal Temple) के शृंगार से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानेंगे, जो इस प्रकार हैं।

    महाकाल के शृंगार का महत्व (Mahakal Baba Shringar Significance)

    ''कथा प्रवक्ता आचार्य नंद जी महाराज'' (कौशांबी प्रयागराज) बताते हैं कि ''महाकाल बाबा का शृंगार हर दिन और आरती के दौरान अलग-अलग किया जाता है, जिनका अपना एक विशेष महत्व है। बाबा के बदलते स्वरूप सृष्टि के हर बदलाव में समाहित हैं। ये सिर्फ सौंदर्य की दृष्टि से नहीं बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

    माना जाता है कि जो साधक बाबा के इन स्वरूपों के दर्शन करते हैं, उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी विकारों से मुक्ति मिलती है।

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    यहां जानें बाबा के कुछ विशेष शृंगार के बारे में (Mahakal Daily Rituals)

    महाकाल बाबा का शेषनाग आरती शृंगार किया जाता है। सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा निराकार स्वरूप में होते हैं, जिसके दर्शन महिलाओं को वर्जित है। यही वजह है कि आरती के दौरान उन्हें घूंघट करने को कहा जाता है। महाकाल बाबा का संध्याकालीन शृंगार यानी भस्म आरती के बाद उन्हें घटा-टोपी पहनाकर और हनुमान जी के स्वरूप में सजाया जाता है।

    अगर आप भोलेनाथ के इस धाम में जा रहे हैं, तो उनके अद्भुत शृंगार के दर्शन जरूर करें, जिनसे सभी कष्टों का अंत हो जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।