Tulsi Puja Niyam: रविवार के दिन तुलसी से जुड़ी न करें ये गलतियां, वरना कंगाली से होगा सामना
सनातन धर्म में कई पेड़-पौधे पूजनीय हैं। इनमें तुलसी (Tulsi Puja Niyam) का पौधा भी शामिल है। तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास माना गया है। रोजाना तुलसी में जल देना और दीपक जलाना चाहिए। मान्यता है कि इन कामों को करने से धन लाभ के योग बनते हैं और आर्थिक तंगी खत्म होती है। ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी पूजा के नियम के बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। रोजाना विधिपूर्वक तुलसी पूजा (Tulsi Puja Benefits) करने से जातक पर हमेशा धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
माना जाता है कि घर में तुलसी का पौधा सही दिशा में लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और तुलसी पूजा के नियम का पालन जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि नियम का पालन (Tulsi Puja Niyam) न करने से जातक को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
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तुलसी पूजा के नियम
- रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते भूलकर भी नहीं तोड़ने चाहिए। माना जाता है कि इस गलती को करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
- सूर्यास्त होने के बाद तुलसी के पौधे को नहीं छूना चाहिए। इससे दोष लगता है।
- तुलसी के पौधे के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर होता है।
- पूजा के दौरान तुलसी के पौधे लाल कपड़ा चढ़ाना शुभ माना जाता है। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- पूजा के दौरान तुलसी को सिंदूर लगाएं और फूल अर्पित करें।
- अंत में मां तुलसी को विशेष चीजों का भोग लगाएं।
तुलसी के उपाय
- अगर आप वैवाहिक जीवन खुशहाल चाहते हैं, तो मां तुलसी को सुहाग की सामग्री अर्पित करें। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल बना रहता है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- पूजा के दौरान तुलसी के पौधे में गन्ने का रस अर्पित करें। साथ ही मां तुलसी की आरती करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस उपाय को करने से जीवन के सभी तरह के दुख दूर होते है।
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तुलसी माता का ध्यान मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।'
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