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    Trayodashi Shradh 2025: क्यों खास है त्रयोदशी श्राद्ध? करें पितरों का तर्पण, नाराज पूर्वजों की मिलेगी कृपा

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 11:30 AM (IST)

    श्राद्ध पक्ष में त्रयोदशी श्राद्ध (Trayodashi Shradh 2025) का विशेष महत्व है खासकर उन लोगों के लिए जिनका निधन इस तिथि पर हुआ हो। आज त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध किया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति आती है।

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    Trayodashi Shradh 2025: त्रयोदशी श्राद्ध से जुड़ी प्रमुख बातें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। श्राद्ध पक्ष में हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध भी इनमें से एक है। यह उन लोगों के लिए खासतौर से महत्वपूर्ण है, जिनका निधन त्रयोदशी तिथि को हुआ हो, या फिर उन बच्चों और संतों के लिए भी यह श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु असमय हुई हो। त्रयोदशी श्राद्ध (Trayodashi Shradh 2025) का दिन पितरों के तर्पण और उनसे जुड़े अन्य अनुष्ठान के लिए खास माना गया है, तो आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    क्यों महत्वपूर्ण है त्रयोदशी श्राद्ध? (Trayodashi Shradh 2025 Significance)

    त्रयोदशी श्राद्ध उन बच्चों और संन्यासियों के लिए भी किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन का श्राद्ध करने इन्हें मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती हैं। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, त्रयोदशी श्राद्ध करने से पितृ दोष का निवारण भी होता है और अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, तो यह श्राद्ध करने से दोष का प्रभाव कम होता है।

    कैसे करें तर्पण? (Trayodashi Shradh 2025 Tarpan Vidhi)

    • श्राद्ध का समय - त्रयोदशी श्राद्ध कुतुप, रोहिणी या मध्य काल में करना सबसे शुभ माना जाता है। इस समय किया गया पिंडदान पितरों तक सीधे पहुंचता है।
    • तर्पण विधि - इस दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पितरों के लिए भोजन तैयार करें, जिसमें खीर, पूरी, सब्जी और ब्राह्मण को खिलाए जाने वाली सभी चीजें शामिल हों।
    • पिंडदान - श्राद्ध कर्म में पिंड बनाकर अर्पित करें। यह पिंड चावल, जौ, और काले तिल से बनाए जाते हैं। पिंड को पितरों को अर्पित करने के बाद उन्हें जल से तर्पण करें।
    • ब्राह्मण को भोजन - श्राद्ध के बाद किसी ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। भोजन में पितरों के पसंद की चीजें जरूर शामिल करें।
    • इन्हें भी खिलाएं भोजन - श्राद्ध के भोजन का एक हिस्सा कौवों, कुत्तों और गायों के लिए भी निकालना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ये पितरों के प्रतीक होते हैं और इन्हें भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है।

    पूजन मंत्र (Puja Mantra)

    • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
    • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
    • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
    • गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम ) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
    • गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।