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    Pitru Paksha 2025: पितरों की मृत्यु तिथि की जानकारी न होने पर किस दिन करना चाहिए उनका श्राद्ध?

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 12:11 PM (IST)

    पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) में लोग अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या का दिन पितरों से जुड़े अनुष्ठान करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष भी समाप्त होता है। ऐसे में आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Sarva Pitru Amavasya Significance: सर्वपितृ अमावस्या का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष एक ऐसा समय है, जब लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धा के साथ याद करते हैं और उनका तर्पण व पिंडदान करते हैं। इस 16-दिनों की अवधि (Pitru Paksha 2025) में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई तरह के अनुष्ठान का पालन करते हैं।

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    वहीं, कुछ जातक को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद नहीं होती है या किसी वजह से उसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। तो ऐसे में मन में यह सवाल उठता है कि उनका श्राद्ध कब करना चाहिए? तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

    सर्वपितृ अमावस्या शुभ मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya Date And Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 21 सितंबर, को रात 12 बजकर 16 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 22 सितंबर को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल सर्वपितृ अमावस्या दिन रविवार, 21 सितंबर को मनाई जाएगी।

    नहीं पता है पूर्वजों की मृत्यु तिथि, तो कब करें श्राद्ध?

    पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। यह दिन पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि यह उन सभी पितरों के लिए होता है जिनकी मृत्यु तिथि पता नहीं होती है, या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो पाया है। सर्व पितृ अमावस्या' का अर्थ है सभी पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली अमावस्या।

    पितरों के श्राद्ध से जुड़ी प्रमुख बातें

    • अगर किसी कारणवश आप अपने पितरों की तिथि पर श्राद्ध नहीं कर पाए हैं या उनकी तिथि नहीं पता है, तो भी आप सर्वपितृ अमावस्या पर उनका श्राद्ध कर सकते हैं।
    • जो संन्यासी या साधु थे और जिनकी कोई निश्चित तिथि ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है।
    • सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि इससे पितृ दोष भी समाप्त होता है।
    • इस दिन श्राद्ध, तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख-समृद्धि और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं।
    • ऐसे में अगर आप अपने किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी नहीं हैं, तो घबराएं नहीं। सर्वपितृ अमावस्या पर पूरे विधि-विधान से उनका श्राद्ध करें और पितरों का आशीर्वाद लें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।