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    सतयुग से लेकर कलियुग तक कितना आया बदलाव, जानें सभी युगों की विशेषताएं

    Updated: Mon, 28 Apr 2025 01:35 PM (IST)

    सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग और कलियुग को मिलाकर चार युग होते हैं जिसमें से हर एक युग की अपनी एक अगल विशेषता है। जहां सतयुग की अवधि सबसे अधिक थी वहीं कलियुग सबसे छोटा माना गया है। साथ ही चारों युगों में मनुष्य में भी बहुत से परिवर्तन आए हैं। आज हम आपको 4 युगों की कुछ विशेषता बताने जा रहे हैं।

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    four Yugas चार युगों की क्या हैं विशेषताएं?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू ग्रंथों व पुराणों में कालावधि को 4 भागों में बांटा गया है। जिसमें से पहला है सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। इसका वर्णन ब्रह्माण्ड पुराण में मिलता है। अभी चौथा युग यानी कलयुग चल रहा है। इन चारों युगों के हिंदू ग्रंथों में कुछ लक्षण और गुण बताए गए हैं। 

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    1. सतयुग

    सबसे पहला युग है सतयुग, जिसका शाब्दिक अर्थ है सत्य का युग। इसे पुराणों में कृतयुग भी कहा गया है। यह चारों युगों में से सबसे शुद्ध युग और लंबा युग है, जिसकी अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष मानी जाती है। इस युग में धर्म में मुख्य रूप से 4 आधार थे - तप, ब्रह्मचर्य, सत्य और दया। इस युग में मनुष्य को दीर्घायु प्राप्त थी और वह धार्मिक व सत्यप्रिय होते थे। साथ ही इस युग के मनुष्यों में कोई बीमारी या पाप भी नहीं पाया जाता था।

    2. त्रेता युग

    (Picture Credit: Freepik)

    चार युगों में से दूसरा युग है त्रेता युग, जिसकी अवधि 12 लाख 96 हजार वर्ष मानी गई है। इस युग में मनुष्य के लक्षणों की बात करें, तो इस युग में मनुष्यों में थोड़ी-सी धार्मिकता आ जाती है, लेकिन इसके बाद भी वह अपने धर्म का पालन करते हैं। साथ ही इस युग के मनुष्य तपस्या और वेदों का पालन व अनुसरण भी करते हैं। भगवान विष्णु के सातवें अवतार यानी भगवान श्रीरामचंद्र जी इसी युग में अवतरित हुए थे।

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    3 द्वापर युग

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    द्वापर युग दूसरा युग है जिसकी अवधि 8 लाख 64 हजार वर्ष मानी गई है। नीलमत पुराण के अनुसार, द्वापर युग की समय अवधि, कलियुग से दो गुना है। सतयुग और त्रेता युग के मुकाबले इसमें मनुष्य में अधर्म थोड़ा और बढ़ गया और युद्ध और संघर्ष जैसे परिणाम सामने आने लगे। महाभारत का युद्ध इसी युग का उदाहरण है। भगवान श्रीकृष्ण जो प्रभु श्रीहरि के 8वें अवतार थे, उनका अवतरण इसी युग में हुआ था।

    4. कलियुग

    चारों युगों में से अंतिम युद्ध है कलियुग, जिसकी अवधि सबसे कम यानी 4 लाख 32 हजार साल मानी गई है।श्रीमद्भागवतम् पुराण के अनुसार, वर्तमान में इसके लगभग 5000 वर्ष बीत चुके हैं। कलयुग को पाप का युग भी कहा गया है, क्योंकि इस युग में अधर्म, लालच, हिंसा, अराजकता और अज्ञानता सबसे अधिक पाई जाती है।

    इसी के साथ बाकी युगों के मुकाबले इस युग में मनुष्य की उम्र भी काफी कम है। इस युग का वर्णन श्रीमद्भागवतम् (12.2.13) में भी किया गया है। वहीं पुराणों में यह भी बताया गया है कि इस युग में भगवान कल्कि का अवतरण होगा, जो सभी पापों का नाश कर पुनः सत्य और धर्म की स्थापना करेंगे।

    Source - https://www.wisdomlib.org/hinduism/book/the-brahmanda-purana/d/doc362849.html

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।