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    Amarnath Yatra 2025: बाबा बर्फानी के दर्शन से पहले पड़ेंगे ये 5 पड़ाव, महादेव से है गहरा नाता

    सनातन धर्म में तीर्थ स्थलों की यात्रा करने का विशेष महत्व है। धार्मिक यात्रा किसी न किसी देवी-देवता से संबंधित होती हैं। वहीं अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2025) देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कठिन रास्तों का सामना करना पड़ता है। यात्रा के दौरान कुछ पड़ाव आते हैं जिनका संबंध भगवान शिव से माना जाता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Fri, 25 Apr 2025 02:59 PM (IST)
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    Amarnath Yatra 2025: अमरनाथ यात्रा का धार्मिक महत्व

    धर्म डेक, नई दिल्ली। अमरनाथ यात्रा की शुरुआत के लिए महादेव के भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। सनातन धर्म में इस यात्रा का विशेष महत्व है। इस बार अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2025) की शुरुआत 3 जुलाई से होगी और 9 अगस्त को यात्रा खत्म होगी। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन की शुरुआत 14 अप्रैल से हो गई है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।

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    अमरनाथ यात्रा के दौरान भक्तों के बेहद उत्साह देखने को मिलेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमरनाथ यात्रा के समय श्रद्धालुओं को 5 पांडव (Amarnath Yatra important stops) में रुकना होता है। इन जगहों का भगवान शिव से गहरा नाता माना जाता है। क्या आपको पता है कि 5 पांडव कौन-से हैं, जिनमें भगवान शिव का अहसास होता है। अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

     

    पहलगाम

    अमरनाथ यात्रा के दौरान सबसे पहले पड़ाव पहलगाम है। इस जगह से यात्रा की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महादेव ने मां पार्वती को कथा सुनाने के लिए एक गुप्त जगह को खोज रहे थे। इस दौरान उन्होंने सबसे पहले नंदी को छोड़ दिया, जिसे पहलगाम के नाम से जाना जाता है।

    यह भी पढ़ें: Amarnath Yatra 2025: कब शुरू होगी अमरनाथ यात्रा? यहां जानिए इसका धार्मिक महत्व

    चंदनबाड़ी

    दूसरे पड़ाव को चंदनबाड़ी के नाम से जाना जाता है। चंदनबाड़ी पहलगाम से 8 किलोमीटर दूर स्थित है। चंदनबाड़ी से श्रद्धालु पिस्सू घाटी की चढ़ाई करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी पवित्र स्थल को देवताओं ने राक्षसों से युद्ध किया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसी जगह पर महादेव ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग कर दिया था। इसी वजह से इस जगह का नाम चंदनबाड़ी पड़ा।    

    शेषनाग

    तीसरा पड़ाव शेषनाग है। यहां पर एक झील है। शेषनाग झील को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस झील में शेषनाग का वास होता है। दिन में एक बार शेषनाग अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।  

    पंचतरणी

    अमरनाथ यात्रा का चौथा पड़ाव पंचतरणी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पंचतरणी में पांच नदियां बहती हैं। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को इन नदियों को पार करना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि ये पांच धाराएं भगवान शिव की जटाओं का प्रतीक हैं। इन्हें स्पर्श करने से शांति प्राप्ति होती है।

    आखिरी पड़ाव

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आखिरी पड़ाव अमरनाथ गुफा से आठ किलोमीटर दूर है। यहां पर अधिक बर्फ जमी रहती है। इसी दिन श्रद्धालु गुफा के पास रुकते हैं और पूजा (Baba Barfani darshan) करने के बाद पंचतरणी वापस लौट जाते हैं।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।