Takshak Kaal Sarp dosh: कब और कैसे कुंडली में बनता है तक्षक कालसर्प दोष? इन उपायों से मिलेगी राहत
मायावी ग्रह राहु और केतु (Takshak Kaal Sarp dosh) दोनों वक्री चाल चलते हैं। एक राशि में राहु और केतु डेढ़ साल तक रहते हैं। वर्तमान समय में राहु कुंभ राशि में विराजमान हैं। वहीं केतु सिंह राशि में विराजमान हैं। भगवान शिव की पूजा करने से राहु और केतु प्रसन्न होते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Takshak Kaal Sarp dosh: देवों के देव महादेव की महिमा निराली है। भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही दुख और संकट भी दूर हो जाते हैं। भगवान शिव के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं होता है। ज्योतिष भी जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं।
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देवों के देव महादेव की पूजा करने से अशुभ ग्रहों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। वहीं, शनिदेव की कृपा साधक पर बरसती है। इसके साथ ही कुंडली में शुभ ग्रह मजबूत होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंडली में कब और कैसे तक्षक कालसर्प दोष बनता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कैसे बनता है तक्षक कालसर्प दोष?
ज्योतिषियों की मानें तो राहु और केतु दोनों मायावी ग्रह हैं। इन दोनों ग्रहों के एक सीध में रहने और इनके मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रह के रहने पर कालसर्प दोष लगता है। वहीं,तक्षक कालसर्प दोष लग्न भाव में केतु और सातवें भाव में राहु के रहने पर बनता है। इस दौरान सभी शुभ और अशुभ ग्रह राहु और केतु के मध्य रहते हैं। यह दोष बेहद खतरनाक माना जाता है।
तक्षक कालसर्प दोष के प्रभाव
तक्षक कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का समाना करना पड़ता है। इस दोष से पीड़ित जातकों की शादी में बहुत देर होती है। वहीं, विवाह के बाद ससुराल वालों के साथ रिश्ता भी मनमुताबिक नहीं रहता है। कई अवसर पर शुभ कामों में असफलता मिलती है। बने काम बिगड़ जाते हैं।
उपाय
तक्षक कालसर्प दोष और निवारण त्र्यंबकेश्वर और महाकालेश्वर मंदिर में कराना उत्तम होता है। इसके अलावा, समय के अभाव या असुविधा होने पर निकटतम प्राचीन शिव मंदिर में भी निवारण करा सकते हैं। इसके अलावा, मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके साथ ही शिव जी की पूजा करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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