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    Chanakya Niti: धरती पर दुख भोगने वाले व्यक्ति में होते हैं ये 3 अवगुण, जीवन भर रहते हैं परेशान

    इतिहासकारों की मानें तो मौर्य साम्राज्य की स्थापना में आचार्य चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार भी किया। इसके लिए आचार्य चाणक्य को कौटिल्य भी कहा जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में व्यक्ति के गुणों एवं अवगुणों पर प्रकाश डाला है। नीति शास्त्र में निहित है कि धरती पर जीवन भर दुख भोगने वाले में तीन अवगुण पाए जाते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 16 Apr 2024 09:06 PM (IST)
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    Chanakya Niti: धरती पर दुख भोगने वाले व्यक्ति में होते हैं ये 3 अवगुण, जीवन भर रहते हैं परेशान

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के विचार वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। उनके विचारों का पालन कर व्यक्ति अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकता है। यही कार्य तत्कालीन समय में चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया था। इतिहासकारों की मानें तो मौर्य साम्राज्य की स्थापना में आचार्य चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार भी किया। इसके लिए आचार्य चाणक्य को कौटिल्य भी कहा जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में व्यक्ति के गुणों एवं अवगुणों पर प्रकाश डाला है। नीति शास्त्र में निहित है कि धरती पर जीवन भर दुख भोगने वाले में तीन अवगुण पाए जाते हैं। ऐसे लोग ताउम्र दुखी और परेशान रहते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    आचार्य अपनी रचना नीति शास्त्र के नौवें अध्याय के 11वें श्लोक में कहते हैं- धरती पर दुख भोगने या काल की गति प्राप्त करने वाले लोग प्रातः काल समय में धन प्राप्ति हेतु गलत कार्य करते हैं। इसके लिए वे अवैध तरीके से धन अर्जित करते हैं। ऐसे लोग जीवन भर दुखी रहते हैं। इसके आगे आचार्य कहते हैं कि दिन के समय में व्यक्ति को कर्म करना चाहिए। कई लोग इस दौरान प्रेम प्रसंग में रत रहते हैं। ऐसे लोग भी जीवन में कभी उन्नति नहीं कर पाते हैं। अंत में चाणक्य कहते हैं कि रात के समय में अवैध तरीके या चोरी कर धन अर्जन करने वाले लोग भी जीवन भर दुखी रहते हैं। ऐसे लोग धरती पर अवश्य ही दुख भोगते हैं।  

    वहीं, सज्जन पुरुष समय का सदुपयोग करते हैं। सुबह के समय ईश्वर की भक्ति करते हैं। दिन के समय में श्रम करते हैं। वहीं, रात्रि के समय में भगवान का सुमिरन कर भोजन प्राप्त करते हैं। इसके बाद विश्राम करते हैं। ऐसे लोगों पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की अवश्य ही कृपा बरसती है।

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    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'