Swastik Sign: स्वस्तिक बनाते समय जरूर रखें इन बातों का ध्यान, तभी मिलेंगे अच्छे परिणाम
आपने किसी मांगलिक या शुभ कार्य में स्वस्तिक का चिह्न बने हुए जरूर देखा होगा। हिंदू धर्म में इस चिह्न को शुभता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। लेकिन ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य का श्रीगणेश करते समय स्वस्तिक का चिह्न जरूर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसे बनाने से उस कार्य से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही शुभ काम में सफलता मिलती है। हालांकि, स्वस्तिक का चिह्न बनाते समय कई बार लोग गलती कर बैठते हैं। स्वस्तिक का चिह्न उल्टा या गलत बनाने से इसके विपरीत परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं।
हिंदू धर्म में स्वस्तिक का महत्व
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ऋग्वेद में इस श्लोक के माध्यम से स्वस्तिक की महत्ता को बताया गया है। स्वस्तिक का आशय शुभ और मंगल से होता है। स्वस्तिक की चार भुजाएं को चार दिशाओं के रूप में प्रदर्शित किया गया है। इसे मंगल और कल्याणकारी चिह्न भी माना गया है। धार्मिक कार्यों में इस चिह्न को बनाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। साथ ही कार्य में सिद्धि मिलती है।

स्वस्तिक बनाने की सही दिशा
वास्तु शास्त्र में ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व को स्वस्तिक बनाने के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इसके अलावा आप उत्तर दिशा में भी यह चिह्न बना सकते हैं, जिससे आपको अच्छे परिणाम मिलते हैं। पूजा स्थान के साथ-साथ मुख्य द्वार पर भी स्वस्तिक का चिह्न बनाना काफी शुभ माना गया है। ऐसा करने से सौभाग्य आकर्षित होता है और वास्तु दोष से भी छुटकारा मिलता है।
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(Picture Credit: Freepik)
कैसे बनाएं स्वस्तिक
स्वस्तिक बनाने के लिए सबसे पहले इसका दायां भाग बनाना चाहिए और इसके बाद बायां भाग। स्वस्तिक को कभी भी उल्टा न बनाएं, वरना इससे आपको नकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं। अगर आप हल्दी या फिर सिंदूर से इस चिह्न को बनाते हैं, तो इससे आपको बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। इसी के साथ आप घर में अष्टधातु या तांबे से बना स्वस्तिक का चिह्न भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति के लिए धन आगमन के योग बनते हैं।
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