Swami Vivekananda Jayanti 2023: जानिए कब है राष्ट्रीय युवा दिवस? जानें स्वामी विवेकानन्द से जुड़ी सोचक बातें
Swami Vivekananda Jayanti 2023 भारत में स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन स्वामी विवेकानंद के विचारों को आम जन तक पहुंचाने का कार्य विभिन्न संस्थानों द्वारा किया जाता है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Swami Vivekananda Jayanti 2023: स्वामी विवेकानंद की जयंती के दिन देशभर में राष्टीय युवा दिवस मनाया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्होंने कम आयु में ही अध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए कई युवाओं को सदमार्ग दिखाने का कार्य किया था। उन्होंने अपने जीवनकाल में न केवल देशवासियों में राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत किया था, बल्कि उन्होंने जनसेवा की भावना को भी अपना सिद्धांत बना लिया था। बता दें कि प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी (National Youth Day 2023 Date) के दिन राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रीय युवा दिवस पर विभिन्न सामाजिक संस्थानों द्वारा भव्य कार्यक्रमों के माध्यम से उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है। वर्तमान समय में भी अनेकों युवा स्वामी विवेकानंद द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं और उनके विचारों का पालन करते हैं। आइए जानते हैं स्वामी विवेकानंद से जुड़ी रोचक बातें।
राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास (History of National Youth Day)
स्वामी विवेकनंद जी ने अपने जीवन काल में युवाओं को सद्मार्ग पर चलने की शिक्षा दी थी। यही कारण है कि वर्ष 1984 से उनके विचारों को बड़ी संख्या में युवाओं तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद से जुड़ी रोचक बातें
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11 सितंबर 1893 के ऐतिहासिक दिन पर स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका के धर्म संसद में वह ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने अपने भाषण को शुरू करने से पहले कहा था 'अमेरिका के भाइयों और बहनों'। इतना सुनते ही धर्म संसद तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और पूरे 2 मिनट तालियां बजती रहीं।
स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी और वर्ष 1898 में उन्होंने बेलूर में रामकृष्ण मठ स्थापित किया था। जहां उन्होंने साल 1902 में अंतिम सांस भी लिया था।
स्वामी विवेकानंद के विचार (Swami Vivekananda Thoughts)
छात्रों के लिए स्वामी विवेकानंद ने बताया है कि शिक्षा के लिए एकाग्रता आवश्यक होती है, और एकाग्रता के लिए ध्यान का होना जरूरी है। इसलिए विद्यार्थी अपनी इन्द्रियों पर संयम रखते हुए एकाग्रता को पूर्णरूप से प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि जब तक व्यक्ति जीवित रहता है, उसे सीखने का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सम्पूर्ण जगत में अनुभव ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होता है।
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