Surya Grahan 2025: 21 या 22 सितंबर कब है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? इन बातों का रखें ध्यान
साल का अंतिम भारत में नहीं दिखाई देगा। ज्योतिष के अनुसार ग्रहण (Surya Grahan 2025) के दौरान ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ करना शुभ माना जाता है। वहीं इस अवधि को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं जिनका पालन सभी को करना चाहिए तो आइए उन प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सूर्य ग्रहण का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। जल्द ही साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह आंशिक सूर्य ग्रहण है, जिसका मतलब है कि चंद्रमा सूर्य के केवल कुछ हिस्से को ढकेगा। पंचांग के अनुसार, साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कब लगेगा? इसके साथ ही इस दिन ( Surya grahan 2025) किन बातों का ध्यान देना चाहिए? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।
कब है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण?
ज्योतिष गणना के अनुसार, साल का अंतिम सूर्य ग्रहण (Surya grahan 2025 Date) 21 सितंबर को लगेगा। यह ग्रहण भारत में बिल्कुल नहीं दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025 In India) देर रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा। वहीं, इसका समापन ब्रह्म मुहूर्त में 03 बजकर 23 मिनट पर होगा।
सूतक काल और धार्मिक मान्यताएं
यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक तभी माना जाता है, जब ग्रहण हमारे क्षेत्र में दिखाई देता है। इस वजह से भारत में इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद नहीं होंगे और सभी तरह के धार्मिक कार्य सामान्य रूप से चलते रहेंगे।
ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान ( Surya grahan 2025 Rules)
- नकारात्मक ऊर्जा से बचें - ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है। ऐसे में मानसिक शांति बनाए रखने के लिए वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- खाने-पीने का परहेज - भले ही सूतक काल न लगे, लेकिन कई लोग ग्रहण के समय भोजन और पानी से परहेज करते हैं।
- गर्भवती महिलाएं - गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें ग्रहण के समय घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है।
- धार्मिक काम - ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके और पूजा-पाठ करके ही कोई काम शुरू करना चाहिए।
सूर्य पूजन मंत्र ( Surya Dev Pujan Mantra)
- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।
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