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    Sunday Puja Tips: भगवान सूर्य की पूजा से करें रविवार की शुरुआत, भूलकर भी न करें ये काम

    रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा होती है। कहते हैं कि रविवार के दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से सोया हुआ भाग जाता है। इसके साथ ही धन और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ऐसे में अगर आप इस दिन भगवान सूर्य की पूजा (Surya Dev Pujan) करते हैं और उनकी भव्य आरती करते हैं तो आपका दिन सुखमय रहता है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 29 Dec 2024 06:30 AM (IST)
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    Sunday Puja Tips: भगवान सूर्य को ऐसे करें प्रसन्न।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान सूर्य की आराधना बहुत मंगलकारी मानी गई है। रविवार का दिन सूर्य नारायण को अति प्रिय है। माना जाता है कि जो जातक रविवार का व्रत रखते हैं और भाव के साथ सूर्य देव की पूजा करते हैं, उन्हें सूर्य भगवान का आशीर्वाद सदैव के लिए प्राप्त होता है। इसलिए सुबह उठकर स्नान करें। जल में गुड़, रोली, फूल और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। वैदिक मंत्रों का जाप करें।

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    इसके बाद उनकी विधिवत आरती करें। ऐसा करने से सूर्य देव खुश होते हैं। साथ ही अपार यश मिलता है, तो आइए यहां सूर्य देव की आरती पढ़ते हैं -

    रविवार के दिन न करें ये गलतियां

    • इस दिन काले कपड़े धारण करने से बचना चाहिए।
    • इस दिन नमक खाने से बचना चाहिए।
    • कहा जाता है कि इस दिन पिता का अपमान गलती से भी नहीं करना चाहिए।
    • इस दिन किसी महिला के साथ भूलकर भी विवाद नहीं करना चाहिए।
    • इस दिन तुलसी माता को छूने से भी बचना चाहिए।

    ।।सूर्य देव की आरती।। (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।