Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mohini Ekadashi Vrat: समुद्र मंथन से जुड़ी है मोहिनी एकादशी की कहानी, जानिए क्यों श्रीहरि बने थे सुंदरी

    Updated: Sat, 26 Apr 2025 09:06 AM (IST)

    Mohini Ekadashi Vrat 2025 एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। यदि विष्णु भगवान की कृपा हो जाए तो हरि प्रिया लक्ष्मी जी भी भक्तों पर कृपा करके उनके जीवन को धन-धान्य से भर देती हैं। इसके साथ ही मनुष्य सुखों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।

    Hero Image
    इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mohini Ekadashi Vrat 2025: हर माह में दो एकादशी होती हैं। मई महीने में मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई को रखा जाएगा। इस व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मृत्यु लोक में सुखमय जिंदगी पूरी करने के बाद वह मोक्ष पा लेता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कहते हैं कि समुद्र मंथन से जुड़ी मोहिनी एकादशी के इस व्रत की कथा को पढ़ने या सिर्फ सुनने मात्र से ही हजार गायों के दान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। जानिए आखिर क्यों भगवान विष्णु ने रखा था मोहिनी का रूप। मगर, उससे पहले जानते हैं इस व्रत की तारीख और पारण का समय।

    मोहिनी एकादशी का पारण 9 मई को होगा

    पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह तिथि 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर शुरू होकर 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगी। उदया तिथि में इस व्रत को मनाने के कारण 8 मई 2025 को गुरुवार के दिन इसका व्रत रखा जाएगा।

    यह भी पढ़ें- Mohini Ekadashi Vrat 2025: मई में मोहिनी एकादशी कब है? नोट कर लीजिए तारीख और पढ़िए इसका महत्व

    मोहिनी एकादशी का महत्व

    मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है। इसकी कहानी समुद्र मंथन की घटना से जुड़ी हुई है। दरअसल, समुद्र मंथन के बाद उससे अमृत कलश निकला था। इसे पाने के लिए असुरों ने भी अपना दावा किया था।

    यदि असुर भी अमृत पान कर लेते, तो वो भी अमर हो जाते। ऐसी स्थिति में असुरों को अमृत पान से रोकने के लिए देवताओं ने सृष्टि के पालक श्रीहरि से विनती की। तब उन्होंने असुरों को अमृत पान से रोकने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था।

    यह भी पढ़ें- Vaishakha Amavasya 2025: पितरों के नाराज होने पर मिलते हैं ये संकेत, ऐसे करें प्रसन्न

    सुंदरी के रूप में वह इतने आकर्षक लगे कि उन्हें देखकर असुर मोहित हो गए और श्रीहरि ने अमृत को देवताओं को दिया, जिससे देवताओं को अमरत्व मिला। उसी घटना को याद करते हुए मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।