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Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान का है विशेष महत्व, जानें अध्यात्मिक महत्व और तिथि

Somvati Amavasya 2023 फाल्गुन मास में सभी व्रत एवं त्योहारों विशेष महत्व है। इन्हीं से एक है सोमवती अमावस्या व्रत। इस विशेष दिन पर माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कब रखा जाएगा सोमवती अमावस्या व्रत और इस व्रत का धार्मिक महत्व।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Fri, 03 Feb 2023 01:26 PM (IST)Updated: Fri, 03 Feb 2023 01:26 PM (IST)
Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान का है विशेष महत्व, जानें अध्यात्मिक महत्व और तिथि
Somvati Amavasya 2023 जानिए फाल्गुन मास में कब रखा जाएगा सोमवती अमावस्या व्रत।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Somvati Amavasya 2023 Date and Importance: हिन्दू पंचांग के अनुसार जल्द ही फाल्गुन मास प्रारंभ होने जा रहा है। सनातन धर्म में इस मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि फाल्गुन मास में उपवास एवं पूजा-पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और साधकों को विशेष लाभ मिलता है। इस मास में पवित्र स्नना और दान को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। बता दें कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या व्रत रखा जाएगा। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं फाल्गुन मास में कब रखा जाएगा सोमवती अमावस्या व्रत और जानिए इस व्रत का अध्यात्मिक महत्व।

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सोमवती अमावस्या 2023 तिथि (Somvati Amavasya 2023 Date and Shubh Muhurat)

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि प्रारंभ: 19 फरवरी 2023, दोपहर 02 बजकर 48 मिनट से

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि समाप्त: 20 फरवरी 2023, सोमवार, सुबह 11 बजकर 05 मिनट पर

उदया तिथि के अनुसार सोमवती अमावस्या व्रत 20 फरवरी 2023 के दिन रखा जाएगा। इस दिन स्नान के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त समय उत्तम है। पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या पर अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में अन्न, धन या वस्त्र का दान करने से विशेष लाभ मिलता है।

सोमवती अमावस्या तर्पण महत्व (Somvati Amavasya 2023 Importance)

शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र स्नान एवं दान के साथ-साथ तर्पण आदि का भी विशेष महत्व है। इस दिन स्नान के बाद पितरों के आत्मा की शांति के लिए तर्पण आदि जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और जीवन में सभी दुखों का नाश हो जाता है। इसके साथ साधकों को कई प्रकार के दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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