Somnath Temple: चमत्कारों और रहस्यों से भरा है यह ज्योतिर्लिंग, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें जीवन भर किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे में आज हम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Temple Facts)से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानेंगे जो इस प्रकार हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर है। यह धाम भगवान शिव को समर्पित है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि यह सबसे पुराने ज्योतिर्लिंग में से भी एक है और जो भी इस धाम में दर्शन के लिए जाते हैं, उनके सभी कष्टों का अंत हो जाता है। आज हम इस चमत्कारी मंदिर (Somnath Temple Facts) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण को साझा करेंगे, जिसका अपना महत्व है।
सोमनाथ मंदिर की कैसे हुई स्थापना?
शिवपुराण के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने चंद्र देव को ये श्राप दे दिया था कि उनका रोशनी बीतते दिन के साथ कम होती जाएगी, जिससे मक्ति पाने के लिए चंद्र देव ने सरस्वती नदी के पास सोमनाथ मंदिर की स्थापना की थी और इसी स्थान पर भोलेनाथ की कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से खुश होकर शिव जी ने उनके इस श्राप को सदैव के लिए खत्म कर दिया था। इसके बाद चंद्र देव ने शंकर भगवान से यहां ज्योतिर्लिंग (Somnath Temple Significance) के रूप में विराजमान रहने की प्रार्थना की, जिसे भोले बाबा ने पूर्ण कर दिया था।
बता दें, चंद्र देव को सोम के नाम से भी जाना जाता है और उन्होंने इस ज्योतिर्लिंग की तपस्या की थी, जिसके चलते इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा। इसके साथ ही इसे प्रभास तीर्थ भी कहा जाता है।
बाण स्तंभ का रहस्य (Somnath Jyotirlinga Facts)
समुद्र के किनारे मंदिर के दक्षिण में एक बाण स्तंभ है, जो छठी शताब्दी से मौजूद है। इसके बारे में किसी को भी ज्यादा जानकारी नहीं है। बाण स्तंभ एक दिशादर्शक स्तंभ है, जिसके ऊपरी सिरे पर एक तीर बना हुआ है, जिसका मुंख समुद्र की तरफ है।
इस बाण स्तंभ पर ''आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योतिमार्ग'' लिखा हुआ है, जिसका मतलब है कि समुद्र के इस बिंदु से दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में किसी भी तरह की बाधा नहीं है।
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