Skanda Sashti 2025: भगवान कार्तिकेय की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti 2025) भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है। इन्हें देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है। धार्मिक मत है कि जो कोई सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करता है उसे जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 26 मई को मासिक कार्तिगाई है। यह पर्व हर महीने कृतिका नक्षत्र में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से जीवन में व्याप्त सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही साधक पर शिव-शक्ति की असीम कृपा बरसती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से मासिक कार्तिगाई के शुभ अवसर पर भगवान शिव की पूजा की जाती है। अगर आप भी शिव जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो मासिक कार्तिगाई के दिन भक्ति भाव से शिव परिवार की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का पाठ या जप करें।
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मंत्र
1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
3.नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय।
4. जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभो पाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
5. आरमुखा ओम मुरूगा
वेल वेल मुरूगा मुरूगा
वा वा मुरूगा मुरूगा
वादी वेल अज़्गा मुरूगा
अदियार एलाया मुरूगा
अज़्गा मुरूगा वरूवाई
वादी वेलुधने वरूवाई
6. योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥
शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥
7. ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:
8. ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
शिवाष्टकम्
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथंजगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालंमहाकाल कालं गणेशादि पालम्।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तंमहा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम्।
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासंमहापाप नाशं सदा सुप्रकाशम्।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहंगिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम्।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानंपदाम्भोज नम्राय कामं ददानम्।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रंत्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम्।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारंभवं वेदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणेपठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम्।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रंविचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति॥
कार्तिकेय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय
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