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    Shukra Dev Pujan: देवी लक्ष्मी के साथ इस ग्रह को कर लें प्रसन्न, जीवन का हर सुख होगा प्राप्त

    Updated: Fri, 29 Mar 2024 08:01 AM (IST)

    शुक्रवार के दिन शुक्र देव की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस खास दिन पर शुक्र ग्रह और देवी लक्ष्मी की पूजा भावपूर्ण करते हैं उन्हें जीवन का हर सुख प्राप्त होता है। इसके अलावा शुक्रवार के दिन शुक्र देव की आरती और कवच (Benefits Of Shukra Aarti And Kavach) का पाठ करना भी बहुत अच्छा माना गया है।

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    Shukra Dev Pujan: शुक्र देव की आरती और कवच

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shukra Dev Pujan: ज्योतिष शास्त्र में शुक्रवार का दिन बहुत अच्छा माना जाता है। यह दिन धन की देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जो जातक इस विशेष दिन पर शुक्र देव और माता लक्ष्मी की पूजा भावपूर्ण करते हैं उन्हें जीवन का हर सुख प्राप्त होता है। इसके अलावा शुक्रवार के दिन शुक्र देव की आरती और कवच (Benefits Of Shukra Aarti And Kavach) का पाठ करना भी बहुत लाभकारी माना गया है। तो चलिए यहां पढ़ते हैं -

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    ''शुक्र कवच''

    मृणालकुन्देन्दुषयोजसुप्रभं पीतांबरं प्रस्रुतमक्षमालिनम् ।

    समस्तशास्त्रार्थनिधिं महांतं ध्यायेत्कविं वांछितमर्थसिद्धये ॥

    ॐ शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः ।

    नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चन्दनदयुतिः ॥

    पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवन्दितः ।

    जिह्वा मे चोशनाः पातु कंठं श्रीकंठभक्तिमान् ॥

    भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः ।

    नाभिं भृगुसुतः पातु मध्यं पातु महीप्रियः॥

    कटिं मे पातु विश्वात्मा ऊरु मे सुरपूजितः ।

    जानू जाड्यहरः पातु जंघे ज्ञानवतां वरः ॥

    गुल्फ़ौ गुणनिधिः पातु पातु पादौ वरांबरः ।

    सर्वाण्यङ्गानि मे पातु स्वर्णमालापरिष्कृतः ॥

    य इदं कवचं दिव्यं पठति श्रद्धयान्वितः ।

    न तस्य जायते पीडा भार्गवस्य प्रसादतः ॥

    ''शुक्र देव की आरती''

    आरती लक्ष्मण बलजीत की ||

    असुर संहारण प्राण पति की ||

    जग भग ज्योति अवधपुरी राजे ||

    शेषाचल पे आप विराजे ||

    तिन लोक जाकी शोभा राजे ||

    कंचन थार कपूर सुहाई |

    आरती करत सुमित्रा माई ||

    आरती कीजै हरी की तैसी |

    धुर्व प्रहलाद विभीषन जैसी ||

    प्रेम मग्न होय आरती गावे |

    बसि बैकुण्ठ परम् पद पावे ||

    आरती लक्ष्मण बलजीत की ||

    असुर संहारण प्राण पति की ||

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    डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी''।