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    Shukra Mantra: शुक्र देव की कृपा पाने के लिए करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 01 May 2025 09:30 PM (IST)

    वैदिक पंचांग के अनुसार शुक्रवार 02 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस शुभ अवसर पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में मां लक्ष्मी और शुक्र देव की पूजा करने से साधक की मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

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    Shukra Mantra: शुक्र देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र देव को सुखों का कारक माना जाता है। शुक्र देव की कृपा बरसने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके लिए ज्योतिष कुंडली में शुक्र मजबूत करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से शुक्र देव प्रसन्न होते हैं।

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    इसके साथ ही शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से न केवल आर्थिक परेशानी दूर होती है, बल्कि आय और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। शुक्रवार को शुक्र देव की भी पूजा की जाती है। अगर आप भी शुक्र देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन पूजा के समय शुक्र देव के नामों का मंत्र जप करें।

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    शुक्र देव के 108 नाम

    1. ॐ शुक्राय नमः।
    2. ॐ शुचये नमः।
    3. ॐ शुभगुणाय नमः।
    4. ॐ शुभदाय नमः।
    5. ॐ शुभलक्षणाय नमः।
    6. ॐ शोभनाक्षाय नमः।
    7. ॐ शुभ्रवाहाय नमः।
    8. ॐ शुद्धस्फटिकभास्वराय नमः।
    9. ॐ दीनार्तिहरकाय नमः।
    10. ॐ दैत्यगुरवे नमः।
    11. ॐ देवाभिवन्दिताय नमः।
    12. ॐ काव्यासक्ताय नमः।
    13. ॐ कामपालाय नमः।
    14. ॐ कवये नमः।
    15. ॐ कल्याणदायकाय नमः।
    16. ॐ भद्रमूर्तये नमः।
    17. ॐ भद्रगुणाय नमः।
    18. ॐ भार्गवाय नमः।
    19. ॐ भक्तपालनाय नमः।
    20. ॐ भोगदाय नमः।
    21. ॐ भुवनाध्यक्षाय नमः।
    22. ॐ भुक्तिमुक्तिफलप्रदाय नमः।
    23. ॐ चारुशीलाय नमः।
    24. ॐ चारुरूपाय नमः।
    25. ॐ चारुचन्द्रनिभाननाय नमः।
    26. ॐ निधये नमः।
    27. ॐ निखिलशास्त्रज्ञाय नमः।
    28. ॐ नीतिविद्याधुरन्धराय नमः।
    29. ॐ सर्वलक्षणसम्पन्नाय नमः।
    30. ॐ सर्वापद्गुणवर्जिताय नमः।
    31. ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः।
    32. ॐ सकलागमपारगाय नमः।
    33. ॐ भृगवे नमः।
    34. ॐ भोगकराय नमः।
    35. ॐ भूमिसुरपालनतत्पराय नमः।
    36. ॐ मनस्विने नमः।
    37. ॐ मानदाय नमः।
    38. ॐ मान्याय नमः।
    39. ॐ मायातीताय नमः।
    40. ॐ महायशसे नमः।
    41. ॐ बलिप्रसन्नाय नमः।
    42. ॐ अभयदाय नमः।
    43. ॐ बलिने नमः।
    44. ॐ सत्यपराक्रमाय नमः।
    45. ॐ भवपाशपरित्यागाय नमः।
    46. ॐ बलिबन्धविमोचकाय नमः।
    47. ॐ घनाशयाय नमः।
    48. ॐ घनाध्यक्षाय नमः।
    49. ॐ कम्बुग्रीवाय नमः।
    50. ॐ कलाधराय नमः।
    51. ॐ कारुण्यरससम्पूर्णाय नमः।
    52. ॐ कल्याणगुणवर्धनाय नमः।
    53. ॐ श्वेताम्बराय नमः।
    54. ॐ श्वेतवपुषे नमः।
    55. ॐ चतुर्भुजसमन्विताय नमः।
    56. ॐ अक्षमालाधराय नमः।
    57. ॐ अचिन्त्याय नमः।
    58. ॐ अक्षीणगुणभासुराय नमः।
    59. ॐ नक्षत्रगणसञ्चाराय नमः।
    60. ॐ नयदाय नमः।
    61. ॐ नीतिमार्गदाय नमः।
    62. ॐ वर्षप्रदाय नमः।
    63. ॐ हृषीकेशाय नमः।
    64. ॐ क्लेशनाशकराय नमः।
    65. ॐ कवये नमः।
    66. ॐ चिन्तितार्थप्रदाय नमः।
    67. ॐ शान्तमतये नमः।
    68. ॐ चित्तसमाधिकृते नमः।
    69. ॐ आधिव्याधिहराय नमः।
    70. ॐ भूरिविक्रमाय नमः।
    71. ॐ पुण्यदायकाय नमः।
    72. ॐ पुराणपुरुषाय नमः।
    73. ॐ पूज्याय नमः।
    74. ॐ पुरुहूतादिसन्नुताय नमः।
    75. ॐ अजेयाय नमः।
    76. ॐ विजितारातये नमः।
    77. ॐ विविधाभरणोज्ज्वलाय नमः।
    78. ॐ कुन्दपुष्पप्रतीकाशाय नमः।
    79. ॐ मन्दहासाय नमः।
    80. ॐ महामतये नमः।
    81. ॐ मुक्ताफलसमानाभाय नमः।
    82. ॐ मुक्तिदाय नमः।
    83. ॐ मुनिसन्नुताय नमः।
    84. ॐ रत्नसिंहासनारूढाय नमः।
    85. ॐ रथस्थाय नमः।
    86. ॐ रजतप्रभाय नमः।
    87. ॐ सूर्यप्राग्देशसञ्चाराय नमः।
    88. ॐ सुरशत्रुसुहृदे नमः।
    89. ॐ कवये नमः।
    90. ॐ तुलावृषभराशीशाय नमः।
    91. ॐ दुर्धराय नमः।
    92. ॐ धर्मपालकाय नमः।
    93. ॐ भाग्यदाय नमः।
    94. ॐ भव्यचारित्राय नमः।
    95. ॐ भवपाशविमोचकाय नमः।
    96. ॐ गौडदेशेश्वराय नमः।
    97. ॐ गोप्त्रे नमः।
    98. ॐ गुणिने नमः।
    99. ॐ गुणविभूषणाय नमः।
    100. ॐ ज्येष्ठानक्षत्रसम्भूताय नमः।
    101. ॐ ज्येष्ठाय नमः।
    102. ॐ श्रेष्ठाय नमः।
    103. ॐ शुचिस्मिताय नमः।
    104. ॐ अपवर्गप्रदाय नमः।
    105. ॐ अनन्ताय नमः।
    106. ॐ सन्तानफलदायकाय नमः।
    107. ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः।
    108. ॐ सर्वगीर्वाणगणसन्नुताय नमः।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।