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    Mahabharata: झूठ बोलकर ली गई दीक्षा का कर्ण को क्या मिला ऐसा परिणाम, परशुराम ने दिया ये श्राप

    Updated: Wed, 30 Apr 2025 03:29 PM (IST)

    महाभारत का युद्ध मुख्य रूप से एक ही कुल के कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। महाभारत के मुख्य पात्र रहे कर्ण की गिनती महाभारत के महान योद्धाओं में की जाती है। आज हम आपको कर्ण से जुड़ी एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें उसे अपने झूठ की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी।

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    Mahabharata: परशुराम ने कर्ण को क्या श्राप दिया?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत ग्रंथ (Mahabharata Katha) व्यक्ति को सीख देने के साथ-साथ यह भी बताता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए, वरना उसका बुरा परिणाम झेलना पड़ता है। आज हम आपको महाभारत ग्रंथ में वर्णित एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें यह सीख मिलती है कि झूठ बोलकर किए गए किसी भी कार्य का अंत बुरा ही होता है।

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    बोला था ये झूठ

    महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार, कर्ण, कुंती का सबसे बड़ा पुत्र था। हालांकि उसका पालन-पोषण एक रथ चालक के घर हुआ था। कर्ण एक महान धनुर्धर बनना चाहता था, इसलिए वह दीक्षा प्राप्त करने द्रोणाचार्य के पास पहुंचा, लेकिन सूत पुत्र होने के कारण गुरु द्रोण ने उसे दीक्षा देने से इन्कार कर दिया।

    तब उसने परशुराम जी से अस्त्र-शस्त्र की विद्या लेने की ठानी, लेकिन समस्या यह थी कि परशुराम जी ने केवल ब्राह्मणों को ही युद्ध विद्या सिखाने का संकल्प लिया था। इसके चलते कर्ण ने झूठ का सहारा लिया और खुद को ब्राह्मण बताकर परशुराम जी से दीक्षा ली।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    परशुराम को कैसे पता चली सच्चाई

    एक दिन जब परशुराम कर्ण की गोद में सिर रखकर विश्राम कर रहे थे, तभी एक कीड़ा कर्ण की जांघ में डंक मारने लगा। लेकिन कर्ण को डर था कि उसके गुरु की नींद न टूट जाए, इसलिए वह पीड़ा सहन करता रहा और हिला तक नहीं। जब बहुत कीड़े के काटने के कारण बहुत अधिक रक्त बहने लगा, और बहते-बहते परशुराम जी की देह तक पहुंच गया, जिससे उनकी नींद खुल गई।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    दिया था ये श्राप

    जब परशुराम जी ने आस-पास खून देखा। तब परशुराम जी समझ गए कि कर्ण कोई ब्राह्मण नहीं है, क्योंकि एत ब्राह्मण इतनी पीड़ा सहन नहीं कर सकता। तब क्रोध में आकर परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया कि तुमने अपने गुरु को ही धोखा दिया है, इसलिए जो विद्या तुमने मुझसे सीखी है, वह जरूरत पड़ने पर तुम्हारे किसी काम नहीं आएगी और ऐन मौके पर तुम उसे भूल जाओगे। श्राप के अनुसार, कर्ण को युद्ध भूमि में मृत्यु की प्राप्ति हुई।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।