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    Mahadev Mandir: इस मंदिर में होती है खंडित शिवलिंग की पूजा, महाभारत काल से कैसे जुड़ा है नाता

    Updated: Thu, 24 Apr 2025 03:11 PM (IST)

    हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों या खंडित शिवलिंग की पूजा करना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। चलिए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के बारे में।

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    क्या है कड़ा धाम स्थित महादेव मंदिर की महीमा?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के कौशांबी में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर की, जो कड़ा धाम में स्थित है। जहां एक खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस मंदिर को लेकर स्थानीय लोगों की काफी मान्यता है। इसी के साथ इस मंदिर की प्रसिद्धि को सुनकर दूर-दूर से भी लोग यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

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    किसने की थी स्थापना

    इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना कर शिव स्तुति की थी और गंगा नदी के जल से शिवलिंग का अभिषेक किया था। बाद में मुगल काल में लूट के इरादे से आक्रांताओं ने इस शिवलिंग को खंडित कर दिया था, जिसके प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं। आज मंदिर में खंडित शिवलिंग की ही पूजा-अर्चना की जाती है, जिसका बहुत अधिक महत्व माना जाता है।

    (प्रतीकात्मक इमेज)

    क्यों होती है खंडित शिवलिंग की पूजा

    कहा जाता है कि आक्रांताओं द्वारा शिवलिंग को खंडित करने के बाद वहां लगे एक छत्ते से मधुमक्खियों ने उनपर हमला कर दिया थी, जिससे वह मंदिर को लूटने में असफल रहे। तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि महादेव की महिमा से ही आक्रांता मंदिर का कुछ नहीं बिगाड़ पाए।

    तभी से इस मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा होती आ रही है। माना जाता है कि कालांतर से लेकर आज तक कोई भी इस शिवलिंग को विखंडित नहीं कर सका, इसलिए इस शिवलिंग में लोगों की इतनी आस्था बनी हुई है। प्रदेश के कोने-कोने से भक्त कड़ा स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने आते है।

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    (प्रतीकात्मक इमेज)

    क्या है मान्यता

    माना जाता है कि महाकालेश्वर मंदिर मंदिर में स्थित कालेश्वर महादेव के रूप में पूजा-अर्चना करने से साधक को गृह क्लेश से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से भक्तों के सभी संकट भी दूर हो जाते हैं। खासकर सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। भक्त सावन में यहां रुद्राभिषेक कर शिव स्तुति करते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।