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    Shri Radha Kripa Kataksh Stotra: स्वयं शिव हैं इस स्तोत्र के रचयिता, पाठ से कटती है जीवन की हर बाधा

    Updated: Thu, 22 Aug 2024 11:33 AM (IST)

    ऐसा कहा जाता है कि जब राधा रानी का नाम न लिया जाए तब तक भगवान श्रीकृष्ण की आराधना अधूरी है। राधा जी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में जाना और पूजा जाता है। ऐसे में आप राधा रानी के साथा-साथ मुरलीधर की कृपा के लिए इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि वह स्तोत्र कौन-सा है।

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    Shri Radha Kripa Kataksh Stotra स्वयं शिव हैं इस स्तोत्र के रचयिता। (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र को लेकर कहा जाता है कि इस स्तोत्र की रचना स्वयं महादेव ने की थी। धार्मिक मान्यता है कि महादेव ने यह स्तोत्र माता पार्वती को सुनाया था। इस स्तोत्र में राधा रानी जी के श्रृंगार, रूप और करूणा का वर्णन किया गया है। ऐसे में आप भी श्रीराधा रानी को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। आइए पढ़ते हैं श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र, जिसके पाठ से साधक के जीवन के दुख-दर्द दूर हो सकते हैं।

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    श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र (Shri Radha Kripa Kataksh Stotra)

    राधा साध्यम साधनं यस्य राधा, मंत्रो राधा मन्त्र दात्री च राधा,

    सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा, राधा राधा वाचिकिम तस्य शेषम।

    मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी,

    व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम् (1)

    अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते, प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले,

    वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्। (2)

    अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां, सुविभ्रम ससम्भ्रम दृगन्तबाणपातनैः,

    निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (3)

    तड़ित्सुवणचम्पक प्रदीप्तगौरविगहे, मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले,

    विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (4)

    मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमणि्ते, प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते,

    अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्। (5)

    अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते, प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी,

    प्रशस्तमंदहास्यचूणपूणसौख्यसागरे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (6)

    मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोलते, लतागलास्यलोलनील लोचनावलोकने,

    ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (7)

    सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेखकम्बुकण्ठगे, त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिअति,

    सलोलनीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (8)

    नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण, प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले,

    करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (9)

    अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्, समाजराजहंसवंश निक्वणातिग,

    विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारूचं कमे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्। (10)

    अनन्तकोटिविष्णुलोक नमपदमजाचिते, हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे,

    अपारसिदिवृदिदिग्ध -सत्पदांगुलीनखे, कदा करिष्यसीह मां कृपा -कटाक्ष भाजनम्। (11)

    मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी, त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी,

    रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी, ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते। (12)

    इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी, करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्,

    भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकमनाशनं, लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डलप्रवेशनम्। (13)

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    कब कर सकते हैं पाठ

    वैसे तो रोजाना इस स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी माना गया है। लेकिन यदि आपके लिए ऐसा करना संवभ नहीं है, तो आप किसी भी माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी या फिर प्रत्येक माह की दशमी, एकादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा तिथि पर भी इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

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    स्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।