Pitru Paksha 2025: सांप काटने से गई है पितरों की जान, तो श्राद्ध और तर्पण के लिए सही रहेगा यह दिन
पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध (Shradh Paksha 2025) तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। शास्त्र में तीन बार तर्पण करने की सलाह दी जाती है। इससे तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। बिहार के गयाजी में पितरों का श्राद्ध करने से व्यक्ति को अमोघ फल मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 08 सितंबर से पितृ पक्ष (Shradh Paksha 2025) की शुरुआत होगी। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। यह पक्ष पितरों को समर्पित होता है। इस दौरान आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
गरुड़ पुराण में निहित है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ धरती पर वास करते हैं। आश्विन अमावस्या के दिन अंतिम तर्पण के बाद पितृ पुन: अपने लोक लौट जाते हैं।
श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि सर्पदंश यानी सांप के काटने से मरने वाले पितरों का श्राद्ध कब करना चाहिए? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
पितृ पक्ष 2025 तिथियां (pitra paksha 2025)
- भाद्रपद पूर्णिमा 07 सितंबर को है।
- 8 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध है।
- 9 सितंबर को द्वितीया श्राद्ध है।
- 10 सितंबर को तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध है।
- 11 सितंबर को पंचमी श्राद्ध है।
- 12 सितंबर को षष्ठी श्राद्ध है।
- 13 सितंबर कोन सप्तमी श्राद्ध है।
- 14 सितंबर को अष्टमी श्राद्ध है।
- 15 सितंबर को नवमी श्राद्ध है।
- 16 सितंबर को दशमी श्राद्ध है।
- 17 सितंबर को एकादश श्राद्ध है।
- 18 सितंबर को द्वादशी श्राद्ध है।
- 19 सितंबर के दिन त्रयोदशी श्राद्ध है।
- 20 सितंबर के दिन चतुर्दशी श्राद्ध है।
- 21 सितंबर के दिन सर्वपितृ अमावस्या है।
श्राद्ध तिथियों के लिए आप नजदीक के कुल पंडित या महापात्र से सलाह ले सकते हैं। स्थानीय पंचांग गणना से इसमें अंतर हो सकता है।
कब करना चाहिए सर्पदंश मृतकों का श्राद्ध
प्रमादादिच्छया वापि नागद्वा मृयते यदि। पक्षयोरुभयोर्नागं पंचमीषु प्रापूज्येत् ॥
कुर्यात् पिष्टमयीं लेख्यं नागभोगाकृतिं भुवि। अर्च्येत् तां सीतैः पुष्पैः सुगन्धैश्चन्दनेन॥
प्रदद्यद् धूपदीपौ च तन्दुलंश्च तिलानां क्षिपेत्। अम्पिष्टं च नैवेद्यं क्षीरं च विनिवेदयेत्॥
सौवर्णं शक्तितो नागं गं च दद्याद् द्विजन्मे। कृतञ्जलिस्ततो ब्रूयात् प्रियतां नागादिति ॥
गरुड़ पुराण में वर्णित है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के दिन सर्प दंश (सांप काटने) से पीड़ित पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इसके साथ ही नाग पंचमी के दिन भी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इसके लिए पितृपक्ष के दौरान पंचमी तिथि पर सर्पदंश से मरने वाले पितरों का तर्पण करें। इसके लिए प्रकांड पंडित से भी सलाह ले सकते हैं। साधक दोनों पक्षों की पंचमी तिथि पर तर्पण कर सकते हैं।
कैसे करें श्राद्ध?
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को स्नान-ध्यान के बाद भूमि पर आटा से फन की आकृति वाले नाग बनाएं। अब सफेद पुष्ण और सुगंधित चंदन लगाएं। इसके बाद धूप और दीप दें। इस समय पान चावल, दूध और आटा नाग देव को अर्पित करें। अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार अन्न-धन का दान करें। इस समय नागराज को हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
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