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    Shraddha Karma 2020: क्या हैं श्राद्ध के विभिन्न नाम और विधान, जानें और समझें यहां

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 04 Sep 2020 04:40 PM (IST)

    Shraddha Karma 2020 आज श्राद्ध की द्वितीय तिथि है। त्रिविधं श्राद्ध मुच्यते के अनुसार मत्स्य पुराण में तीन प्रकार के श्राद्ध वर्णित हैं।

    Shraddha Karma 2020: क्या हैं श्राद्ध के विभिन्न नाम और विधान, जानें और समझें यहां

    Shraddha Karma 2020: आज श्राद्ध की द्वितीय तिथि है। त्रिविधं श्राद्ध मुच्यते के अनुसार, मत्स्य पुराण में तीन प्रकार के श्राद्ध वर्णित हैं। इनके नाम नित्य, नैमित्तिक एवं काम्य श्राद्ध कहते हैं। वहीं, यम स्मृति में पांच प्रकार के श्राद्धों का वर्णन मिलता है जिन्हें नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि और पार्वण नाम से जाना जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य दयानंद शास्त्री से जानते हैं कि श्राद्ध के विभिन्न नाम और विधान को।

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    नित्य श्राद्ध- प्रतिदिन किए जाने वाले श्राद्ध को नित्य श्राद्ध कहा जाता है। इसमें विश्वेदेव को स्थापित नहीं किया जाता है। केवल जल से भी इस श्राद्ध को सम्पन्न किया जा सकता है।

    नैमित्तिक श्राद्ध- ऐसा श्राद्ध जो किसी को निमित्त बनाकर किया जाता है उसे नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं। इसे एकोद्दिष्ट भी कहा जाता है। किसी एक को निमित्त मानकर यह श्राद्ध किया जाता है। यह किसी की मृत्यु हो जाने पर दशाह, एकादशाह आदि एकोद्दिष्ट श्राद्ध के अन्तर्गत आता है। इसमें भी विश्वेदेवों को स्थापित नहीं किया जाता।

    काम्य श्राद्ध- जो श्राद्ध किसी की कामना पूर्ति के लिए किया जाता है उसे काम्य श्राद्ध कहते हैं।

    वृद्धि श्राद्ध- यह श्राद्ध वो होता है जिसमें किसी प्रकार की वृद्धि में जैसे पुत्र जन्म, वास्तु प्रवेश, विवाहादि प्रत्येक मांगलिक प्रसंग में भी पितरों की प्रसन्नता के लिए किया जाता है। इसे नान्दीश्राद्ध या नान्दीमुखश्राद्ध भी कहा जाता है। यह कर्म कार्य होता है। दैनंदिनी जीवन में देव-ऋषि-पित्र तर्पण भी किया जाता है।

    पार्वण श्राद्ध- पितृपक्ष, अमावास्या या किसी पर्व की तिथि आदि पर जो श्राद्ध किया जाता है उसे पार्वण श्राद्ध कहलाता है। यह श्राद्ध विश्वेदेवसहित होता है।

    सपिण्डनश्राद्ध- इसका अर्थ होता है पिण्डों को मिलाना। प्रेत पिण्ड का पितृ पिण्डों में सम्मेलन कराया जाता है। यही सपिण्डनश्राद्ध कहलता है।

    गोष्ठी श्राद्ध- जो श्राद्ध सामूहिक रूप से या समूह में किया जाता है उसे ही गोष्ठी श्राद्ध कहते हैं।

    शुद्धयर्थश्राद्ध- जिन श्राद्धों को शुद्धि के निमित्त किया जाता है उसे शुद्धयर्थश्राद्ध कहते हैं।

    कर्मागश्राद्ध- इसका अर्थ कर्म का अंग होता है। यानी किसी प्रधान कर्म के अंग के रूप में जो श्राद्ध किया जाता है उसे कर्मागश्राद्ध कहते हैं।

    यात्रार्थश्राद्ध- जो श्राद्ध किसी यात्रा के उद्देश्य से किया जाता है उसे यात्रार्थश्राद्ध कहते हैं। उदाहरण के तौर पर तीर्थ में जाने के उद्देश्य से या देशान्तर जाने के उद्देश्य से जो श्राद्ध किया जाता है उसे ही यात्रार्थश्राद्ध कहते हैं।

    पुष्ट्यर्थश्राद्ध- जो श्राद्ध शारीरिक एवं आर्थिक उन्नति के लिए किया जाता है उसे पुष्ट्यर्थश्राद्ध कहते हैं।  

    डिस्क्लेमर-

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना मेंं निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेंदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''