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    Shivling Katha: कब और कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति, यहां पढ़ें इससे जुड़ी कथा

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 03:02 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में शिवलिंग (Shivling Katha) पूजा का विशेष महत्व बताया गया गया है। पूजा के दौरान विशेष चीजों के द्वारा शिवलिंग का की अभिषेक किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिवलिंग पूजन करने से भक्त को महादेव की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं शिवलिंग से जुड़ी कथा।

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    Shivling Puja: शिवलिंग उत्पति से जुड़ी कथा (Image Source: AI-Generated)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में महादेव की पूजा-अर्चना (Shivling Puja) करने का विशेष महत्व है। शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रोजाना शिवलिंग पूजन करने से भक्त को जीवन में सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है। क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग की उत्पति कब और कब कैसे हुई। अगर नहीं पता, तो आइए पढ़ते हैं इससे जुड़ी कथा।

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     (Image Source: AI-Generated)

    इस तरह हुई शिवलिंग की उत्पत्ति

    शिवपुराण के खंड 1 के नौवें अध्याय में शिवलिंग (Shivling Katha in Hindi) की उत्पति की वर्णन किया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच द्वंद हो गया कि कौन ज्यादा शक्तिशाली है। जब यह बात सभी तरफ फैल गई, तो उस सभी देवताओं, ऋषि-मुनियों ने विष्णु जी और ब्रह्मा जी को भगवान शिव के पास चलने के लिए कहा। इसके बाद सभी देवता शिव जी के पास पहुंचे।

    इस बात की जानकारी को महादेव को पहले से ही थी कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच द्वंद चल रहा है। महादेव ने देवताओं से कहा कि मेरेद्वारा उत्पन्न ज्योत के आखिरी छोर पर जो सबसे पहले जो पहुंचेगा। उसी को ज्यादा शक्तिशाली घोषित किया जाएगा। महादेव की इस बात से भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी सहमत हुए। उसी दौरान भगवान शिव के तेजोमय शरीर से एक ज्योत निकली। यह ज्योत पाताल और नभ की ओर बढ़ रही थी, तो उसी समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ज्योत तक नहीं पहुंच पाए। इसके बाद भगवान विष्णु ने ज्योत तक न पहुंचने पर महादेव से क्षमा मांगी।

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     (Image Source: AI-Generated)

    तब महादेव ने ब्रह्मा जी से सवाल किया कि ज्योत के आखिरी छोर तक पहुंच पाए, तो श्रेष्ठता की उपाधि को प्राप्त करने के लिए झूठ बोल दिया। उन्होंने कहा कि ज्योत की अंतिम बिंदु पाताल में है। इसके बाद शिव जी ने कहा कि आप हे ब्रम्ह देव! आप झूठ बोल रहे हैं। इसके बाद महादेव ने विष्णु जी को श्रेष्ठ घोषित कर दिया। तभी इस ज्योत को शिवलिंग के रूप में पूजा-अर्चना की जाने लगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।