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    Budh Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष के दिन भगवान शिव के इस स्तोत्र का करें पाठ, भौतिक सुखों में होगी वृद्धि

    Updated: Sun, 30 Jun 2024 08:40 AM (IST)

    प्रदोष व्रत का दिन शुभ माना जाता है। इस बार प्रदोष व्रत 03 जुलाई को मनाया जाएगा। बुधवार को पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कुछ कार्य बताए गए हैं जिन्हें करने से घर में शुभता आती है। कहा जाता है कि इस दिन शिव जी के स्तोत्र का पाठ बहुत कल्याणकारी माना जाता है।

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    Budh Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव स्तोत्र

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का खास महत्व है। बुध प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। माना जाता है कि उनकी पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही परिवार में खुशहाली आती है। इस बार प्रदोष व्रत 03 जुलाई, 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा। बुधवार को पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष (Budh Pradosh Vrat 2024) के नाम से जाना जाता है।

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    वहीं, ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कुछ कार्य बताए गए हैं, जिन्हें करने से घर में शुभता आती है। कहा जाता है इस दिन शिव जी के स्तोत्र का पाठ बहुत कल्याणकारी माना जाता है, तो चलिए यहां करते हैं -

    ।।ध्यान।।

    वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।

    कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम् ॥

    स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम् ।

    शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम् ॥

    पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम् ।

    मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम् ॥

    प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम् ।

    कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥

    ।।भगवान शिव स्तोत्र।।

    कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो ।

    स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम् ।

    नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते ॥

    परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा ।

    परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता ।

    विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी ।

    भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं ।

    मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    ।।शिव स्तुति मंत्र।।

    स्फटिकप्रतिभटकान्त विरचितकलिमलशान्त ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    गंगाधरपिंगलजट हृतशरणागतसङ्कट ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    बालसुधाकरशेखर भाललसद्वैश्वानर ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    पद्मदलायतलोचन दृढभवबन्धनमोचन ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    मन्दमधुरहासवदन निर्जितदुर्लसितमदन ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    सनकादिकवन्द्यचरण दुस्तरभवसिन्धुतरण ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    लालितबालगजानन कलितमहापितृकानन ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    सच्चिद्घनसुखसार लीलापीतमहागर ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    गिरिजाश्लिष्टार्धतनो कल्पितगिरिराजधनो ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।

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