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    Surya Dev Ki Aarti: इस नियम से करें भगवान सूर्य की आरती, तरक्की के साथ मिलेगा मान-सम्मान

    Updated: Sun, 30 Jun 2024 07:00 AM (IST)

    रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो जातक रविवार के दिन का उपवास रखते हैं और भक्ति भाव के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें ग्रहों के राजा की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए सुबह स्नान के बाद जल में रोली और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें। इसके बाद सूर्य नमस्कार करें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।

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    Surya Dev Ki Aarti:सूर्य देव की आरती -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान सूर्य की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो जातक रविवार के दिन का उपवास रखते हैं और भक्ति भाव के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें ग्रहों के राजा की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए सुबह स्नान के बाद जल में रोली और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें।

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    इसके बाद सूर्य नमस्कार करें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें। सूर्य देव (Surya Dev Ki Aarti) की आरती से पूजा का समापन करें, तो चलिए यहां पढ़ते हैं -

    ।। भगवान सूर्य की आरती ।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।

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