Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी पर करें इस कथा का पाठ, बरसेगी माता रानी की कृपा
शीतला अष्टमी व्रत बेहद शुभ माना जाता है। इस साल यह उपवास (Sheetala Ashtami 2025) आज यानी 22 मार्च को रखा जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि जो साधक इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें मां शीतला का आशीर्वाद सदैव के लिए मिलता है। वहीं इस दिन शीतला अष्टमी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए जो इस प्रकार है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा या बासोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत देवी शीतला को समर्पित है। हर साल यह होली के आठवें दिन मनाया जाता है। भक्त इस अवसर पर देवी को बासी प्रसाद चढ़ाते हैं और एक दिन पहले तैयार किए गए भोजन का सेवन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस व्रत (Sheetala Ashtami 2025) का पालन करते हैं, उन्हें इसकी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना व्रत पूरा नहीं होता है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।
शीतला अष्टमी व्रत कथा (Sheetala Ashtami 2025 Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार एक वृद्ध महिला और उसकी दो बहुओं ने देवी शीतला के लिए उपवास रखा था। दोनों बहुओं ने मान्यताओं के अनुसार, एक दिन पहले ही प्रसाद के लिए भोजन बनाकर तैयार कर लिया, लेकिन दोनों बहुओं के बच्चे छोटे थे, इसलिए उन्होंने सोचा कि कहीं बासी खाना उनके बच्चों को नुकसान न कर दे। इसलिए उन्होंने बच्चों के लिए ताजा खाना दोबारा से तैयार किया, जब वे दोनों शीतला माता की पूजा के बाद घर वापस लौटीं, तो उन्होंने अपने बच्चों को मृत पाया। इस दृश्य को देखकर वे जोर-जोर से विलाप करने लगीं। तब उनकी सास ने उन्हें बताया कि ''यह शीतला माता के प्रकोप का प्रभाव है। ऐसे में जब तक ये बच्चे जीवित न हो जाएं, तब तक तुम दोनों घर वापस मत आना।'' दोनों बहुएं अपने मृत बच्चों को लेकर इधर-उधर भटकने लगीं, तभी उन्हें एक पेड़ के नीचे दो बहनें बैठी मिलीं जिनका नाम ओरी और शीतला था। वे दोनों बहने गंदगी और जूं के कारण बहुत परेशान थीं।
उन्होंने उनकी सहायता की और उनके सिर की गंदगी साफ की, जिससे शीतला और ओरी ने प्रसन्न होकर दोनों को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया। तब उन दोनों बहुओं ने अपनी सारी व्यथा उन दोनों बहनों को बताई। इस पर शीतला माता अपने स्वरूप में उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें बताया कि ''ये सब शीतला अष्टमी के दिन ताजा खाना बनाने के कारण हुआ है। तब दोनों बहुओं ने माता शीतला से क्षमा याचना की और आगे से ऐसा न करने को कहा।''
देवी शीतला ने प्रसन्न होकर दोनों बच्चों को फिर से जीवित कर दिया। इसके बाद दोनों बहुएं खुशी-खुशी घर लौट आईं और माता का गुणगान किया।
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