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    Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, बरसेगी माता रानी की कृपा

    Updated: Fri, 21 Mar 2025 02:10 PM (IST)

    शीतला अष्टमी व्रत बेहद शुभकारी माना जाता है। यह उपवास हर साल चैत्र महीने में आता है। इस साल यह व्रत (Sheetala Ashtami 2025) 22 मार्च यानी कल के दिन रखा जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन उपवास रखते हैं उन्हें मां शीतला की कृपा मिलती है। वहीं इस दिन शीतलाष्टक स्तोत्र का पाठ भी बहुत उत्तम माना गया है जो इस प्रकार है।

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    Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी पर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शीतला अष्टमी का व्रत बहुत शुभ माना गया है। इसे बासौड़ा और अष्टमी तिथि के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग मां शीतला की पूजा और दान-दक्षिणा करते हैं। इस तिथि (Sheetala Ashtami 2025) पर जो साधक पूर्ण भक्ति के साथ सभी पूजा नियमों का पालन करते हैं, उनके जीवन के सभी कष्टों का अंत होता है। ऐसे में इस दिन सुबह उठें और स्नान करें। फिर माता रानी के सामने घी का दीपक जलाएं।

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    उन्हें बासी प्रसाद जैसे - खीर, हलवा, नारियल, फल, फूल और शृंगार आदि चीजें अर्पित करें। फिर ''शीतलाष्टक स्तोत्र'' का पाठ करें। अंत में आरती करके घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें। इस उपाय को करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

    ॥शीतलाष्टक स्तोत्र॥ (Sheetla Ashtakam Stotram)

    ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥

    विनियोग:

    ऊँ अस्य श्रीशीतला स्तोत्रस्य महादेव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शीतली देवता, लक्ष्मी बीजम्, भवानी शक्तिः, सर्वविस्फोटक निवृत्तये जपे विनियोगः ॥

    ऋष्यादि-न्यासः

    श्रीमहादेव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीशीतला देवतायै नमः हृदि, लक्ष्मी (श्री) बीजाय नमः गुह्ये, भवानी शक्तये नमः पादयो, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ॥

    ध्यानः

    ध्यायामि शीतलां देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम् ।

    मार्जनी-कलशोपेतां शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम् ॥

    मानस-पूजनः

    ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ वं जल-तत्त्वात्मकं नैवेद्यं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः।

    मन्त्रः

    ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः ॥

    ॥ ईश्वर उवाच॥

    वन्दे अहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम् ।

    मार्जनी कलशोपेतां शूर्पालं कृत मस्तकाम् ॥1॥

    वन्देअहं शीतलां देवीं सर्व रोग भयापहाम् ।

    यामासाद्य निवर्तेत विस्फोटक भयं महत् ॥2॥

    शीतले शीतले चेति यो ब्रूयाद्दारपीड़ितः ।

    विस्फोटकभयं घोरं क्षिप्रं तस्य प्रणश्यति ॥3॥

    यस्त्वामुदक मध्ये तु धृत्वा पूजयते नरः ।

    विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ॥4॥

    शीतले ज्वर दग्धस्य पूतिगन्धयुतस्य च ।

    प्रनष्टचक्षुषः पुसस्त्वामाहुर्जीवनौषधम् ॥5॥

    शीतले तनुजां रोगानृणां हरसि दुस्त्यजान् ।

    विस्फोटक विदीर्णानां त्वमेका अमृत वर्षिणी ॥6॥

    गलगंडग्रहा रोगा ये चान्ये दारुणा नृणाम् ।

    त्वदनु ध्यान मात्रेण शीतले यान्ति संक्षयम् ॥7॥

    न मन्त्रा नौषधं तस्य पापरोगस्य विद्यते ।

    त्वामेकां शीतले धात्रीं नान्यां पश्यामि देवताम् ॥8॥

    ॥ फल-श्रुति ॥

    मृणालतन्तु सद्दशीं नाभिहृन्मध्य संस्थिताम् ।

    यस्त्वां संचिन्तये द्देवि तस्य मृत्युर्न जायते ॥9॥

    अष्टकं शीतला देव्या यो नरः प्रपठेत्सदा ।

    विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ॥10॥

    श्रोतव्यं पठितव्यं च श्रद्धा भक्ति समन्वितैः ।

    उपसर्ग विनाशाय परं स्वस्त्ययनं महत् ॥11॥

    शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।

    शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ॥12॥

    रासभो गर्दभश्चैव खरो वैशाख नन्दनः ।

    शीतला वाहनश्चैव दूर्वाकन्दनिकृन्तनः ॥13॥

    एतानि खर नामानि शीतलाग्रे तु यः पठेत् ।

    तस्य गेहे शिशूनां च शीतला रूङ् न जायते ॥14॥

    शीतला अष्टकमेवेदं न देयं यस्य कस्यचित् ।

    दातव्यं च सदा तस्मै श्रद्धा भक्ति युताय वै ॥15॥

    ॥ श्रीस्कन्दपुराणे शीतलाअष्टक स्तोत्रं ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।