Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र के पहले दिन क्यों बोए जाते हैं जौ? यहां जानें धार्मिक महत्व

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 09:00 PM (IST)

    शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) का त्योहार जगत जननी आदिशक्ति देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दौरान जगत की देवी और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का अंत होता है।

    Hero Image
    Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र के पहले दिन क्या करें और क्या न करें?

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। सनातन धर्म में नवरात्र का पर्व अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है। यह नौ दिनों का उत्सव देवी दुर्गा के नौ रूपों की साधना और उपासना के लिए समर्पित होता है। इन दिनों भक्त माता से शक्ति, साहस, समृद्धि और परिवार में सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में माता की पूजा करने से घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा, धन-धान्य और खुशहाली बनी रहती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस वर्ष शारदीय नवरात्र 22 सितंबर 2025 से शुरू हो रही है। नवरात्र की शुरुआत घटस्थापना और जौ बोने की परंपरा से होती है, जिसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इस पवित्र परंपरा के पीछे गहरी आध्यात्मिक और पौराणिक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं।

    नवरात्र की शुरुआत घटस्थापना (कलश स्थापना) और जौ बोने की परंपरा से होती है, जिसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इस परंपरा के पीछे गहरी आध्यात्मिक और पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

    क्यों बोए जाते हैं जौ?

    जौ को हमेशा से अनाज का प्रथम और शुभ रूप माना गया है। यह केवल खाद्य सामग्री नहीं, बल्कि समृद्धि, जीवनशक्ति और उर्वरता का प्रतीक भी है। नवरात्र के पहले दिन जौ बोने की परंपरा इस बात का प्रतीक है कि घर में आने वाला वर्ष सुख-शांति, समृद्धि और आर्थिक स्थिरता से भरा रहे। यदि जौ स्वस्थ और तेजी से अंकुरित होते हैं, तो यह पूरे वर्ष के लिए शुभ संकेत माना जाता है, जो परिवार में सफलता, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

    वहीं, यदि इनके विकास में कोई रुकावट आती है, तो इसे भविष्य में आने वाली चुनौतियों और समस्याओं का संकेत माना जाता है। केवल भौतिक रूप से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी जौ का अंकुरित होना देवी दुर्गा की कृपा और शक्ति का प्रतीक है। जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ जौ बोता है और उसकी देखभाल करता है, वह सकारात्मक ऊर्जा और मंगलकारी परिणाम प्राप्त करता है।

    जौ बोने की विधि-

    • नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मिट्टी के पात्र में स्वच्छ मिट्टी भरी जाती है।
    • इस पात्र में जौ बोए जाते हैं और इसे माता के समक्ष रखा जाता है।
    • नौ दिनों तक नियमित रूप से जल अर्पित किया जाता है।
    • जौ का अंकुरित होना जीवन में ऊर्जा, प्रगति और शुभ फल का प्रतीक माना जाता है।
    • जितनी तेजी और मजबूती से जौ अंकुरित होते हैं, उतना ही परिवार के लिए शुभ और लाभकारी समझा जाता है।

    यह भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2025: नवरात्र में सुबह घट स्थापना का ये शुभ मुहूर्त, जानें इस शुभ घड़ी का जीवन में महत्व

    यह भी पढ़ें- Shardiya Navratri के पहले दिन 'ब्रह्म' योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, बरसेगी मां दुर्गा की कृपा

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।