Shardiya Navratri 2025: आज है शारदीय नवरात्र का पहला दिन, जानें पूजा विधि, भोग और मां का प्रिय फूल
शारदीय नवरात्र (Navratri Kalash Sthapana Muhurat) के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है जो दुर्गा का प्रथम रूप हैं। इस दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन देवी की पूजा से स्थिरता और शक्ति की प्राप्ति होती है तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज शारदीय नवरात्र का पहला दिन है। यह दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित है, जो हिमालय की पुत्री हैं और मां दुर्गा का प्रथम रूप हैं। इस दिन कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक चलने वाले इस महाव्रत की शुरुआत होती है। कहते हैं कि इस व्रत (Shardiya Navratri 2025) का पालन करने से मां दुर्गा की कृपा मिलती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है।
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पूजा विधि (Shardiya Navratri 2025 Day 1st Puja Vidhi)
- शारदीय नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं।
- एक कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें।
- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें।
- कलश को जौ के बर्तन के ऊपर रखें।
- देवी दुर्गा का आह्वान करें और नौ दिनों तक उनकी विधिवत पूजा करें।
- कुछ साधक इस दौरान नौ दिनों तक उपवास रखते हैं।
- देवी दुर्गा की प्रतिदिन सुबह और शाम भाव के साथ आरती करें।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त (Kalash Sthapana Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 22 सितंबर को घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भी साधक घटस्थापना कर सकते हैं।
मां शैलपुत्री को चढ़ाएं ये चीजें
मां शैलपुत्री को सफेद रंग बहुत प्रिय है। इसलिए इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
देवी को रोली, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें। इसके अलावा मां शैलपुत्री को लाल गुड़हल का फूल या कोई भी सफेद फूल पूजा में शामिल करना न भूलें।
मां शैलपुत्री प्रिय भोग (Shardiya Navratri 2025 Day 1st Bhog)
मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। आप उन्हें घी से बनी मिठाई या हलवा अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही, कई जगहों पर मां को सफेद पेड़े या सफेद बर्फी का भोग भी लगाया जाता है।
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को स्थिरता और शक्ति मिलती है। कलश स्थापना के साथ ही, यह पर्व हमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने का अवसर देता है। ये नौ दिन आत्म-चिंतन, शुद्धिकरण और भक्ति के प्रतीक हैं। ऐसे में इस दौरान ज्यादा से ज्यादा देवी की पूजा करें।
पूजा मंत्र (Shardiya Navratri 2025 Puja Mantra)
- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।
- या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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