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    Shardiya Navratri के सातवें दिन ऐसे करें मां काली की आरती, घर में बनी रहेगी सुख-शांति

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 06:20 AM (IST)

    शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है जो देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से गुप्त शत्रु शांत होते हैं तो आइए यहां मां की भव्य आरती करते हैं जो इस प्रकार हैं -

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    Shardiya Navratri 2025 Day 7: शारदीय नवरात्र का सातवां दिन आज।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shardiya Navratri 2025 Day 7: शारदीय नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से गुप्त शत्रु शांत होते हैं। ऐसे में इस दिन (Shardiya Navratri 2025) सुबह उठें और स्नान करें।

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    देवी के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें गुड़ और गुड़हल के फूल अर्पित करें। फिर मां की आरती करें, जो इस प्रकार हैं -

    ।।मां काली की आरती।। (Maa Kalratri Ki Aarti)

    अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

    तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी।

    दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी।

    सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,

    दुशटन को तू ही ललकारती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता।

    पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता।

    सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,

    दुखीं के दुक्खदे निवर्तती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना।

    हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना।

    सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,

    सतियो के सत को संवरती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।।

    चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली।

    वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली।

    माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,

    भक्तो के करेज तू ही सरती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।

    तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    ।।मां दुर्गा की आरती।।

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

    जय अम्बे गौरी,...।

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