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    Shardiya Navratri 2025 Day 6: नवरात्र के छठे दिन पढ़ें यह चमत्कारी कथा, जल्द विवाह के बनेंगे योग

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 08:42 AM (IST)

    शारदीय नवरात्र में छठे दिन (Shardiya Navratri 2025 Day 6) मां कात्यायनी की पूजा की जाती है जिन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था जिस वजह से उनका नाम कात्यायनी पड़ा।

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    Shardiya Navratri 2025 Day 6: नवरात्र के छठे दिन पढ़ें यह कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shardiya Navratri 2025 Day 6: शारदीय नवरात्र में छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप बेहद शक्तिशाली, उग्र और मंगलकारी माना जाता है। मां कात्यायनी को 'महिषासुरमर्दिनी' भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने ही महिषासुर नामक दानव का वध किया था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां कात्यायनी व्रत कथा का पाठ करना परम कल्याणकारी माना गया है, तो आइए पढ़ते हैं -

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    मां कात्यायनी की कथा (Maa Katyayani Vrat Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन मां आदिशक्ति के परम भक्त थे। उन्होंने कठोर तपस्या की और देवी से प्रार्थना की कि वे उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। महर्षि की तपस्या से खुश होकर देवी ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। जब पृथ्वी पर महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया, तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने-अपने तेज का अंश देकर एक देवी को उत्पन्न किया, जिसने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। इस कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। महर्षि कात्यायन के आश्रम में तीन दिन तक पूजे जाने के बाद, मां कात्यायनी ने सिंह पर सवार होकर महिषासुर से युद्ध किया और दशमी तिथि पर उसका वध करके धर्म की रक्षा की।

    इसी कारण उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है। कहते हैं कि ब्रज की गोपियों ने भी भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए कालिंदी-यमुना के किनारे मां कात्यायनी की ही आराधना की थी। ऐसा कहा जाता है कि देवी की उपासना करने से जल्द विवाह के योग बनते हैं और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।

    पूजन मंत्र (Maa Katyayani Puja Mantra)

    • कात्यायनि महामाये, महायोगिन्यधीश्वरि।

      नन्दगोपसुतं देवि, पतिं मे कुरु ते नमः।।

    गोधूलि बेला में करें पूजा (Maa Katyayani Puja Vidhi)

    मां कात्यायनी की पूजा गोधूलि बेला में करना बहुत शुभ माना जाता है। इस समय देवी को पीले या नारंगी रंग के कपड़े, फल, फूल और मिठाई आदि अर्पित करें। साथ ही की मां कात्यायनी की कथा पढ़कर और विधि-विधान से पूजा पूर्ण कर आरती करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।