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    Shardiya Navratri 2025 Day 2: शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन करें इस कथा का पाठ, सुख-शांति की होगी प्राप्ति

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 06:35 AM (IST)

    शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन (Navratri 2025 Day 2 Katha) मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की बेटी हैं। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से हर तरह की सिद्धि मिलती है तो आइए इस पावन अवसर पर देवी ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ करते हैं।

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    Shardiya Navratri 2025 Day 2: मां ब्रह्मचारिणी की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। आज नवरात्र का दूसरा दिन है। यह दिन ब्रह्मचारिणी माता को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ और उनकी विधिपूर्वक पूजा करने से नवरात्र (Shardiya Navratri 2025 Day 2) व्रत के दूसरे दिन का पूरा फल मिलता है, तो आइए इस आर्टिकल में देवी की इस चमत्कारी कथा का पाठ करते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    ब्रह्मचारिणी माता की कथा (Shardiya Navratri 2025 Day 2 Katha)

    प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मचारिणी माता हिमालय और देवी मैना की बेटी हैं। नारद मुनि के कहने पर उन्होंने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बहुत कठिन तपस्या की। इसी कठोर तपस्या के कारण उन्हें तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अपनी तपस्या के दौरान, उन्होंने तीन हजार साल तक सिर्फ टूटे हुए बिल्व पत्र खाएं। हर दुख सहकर भी वह भगवान शंकर की भक्ति में लगी रहीं। बाद में उन्होंने बिल्व पत्र भी खाना छोड़ दिया और कई हजार साल तक बिना पानी और भोजन के तपस्या करती रहीं। इस कारण उनका एक नाम अपर्णा भी पड़ा।

    उनकी घोर तपस्या देखकर देवता, ऋषि और मुनि बहुत हैरान हुए। उन्होंने उनकी तपस्या की खूब सराहना की और कहा कि उनकी तपस्या जरूर सफल होगी। कुछ समय बाद ऐसा ही हुआ और उन्हें भगवान शंकर पति के रूप में मिले। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से हर तरह की सिद्धि मिलती है।

    ब्रह्मचारिणी माता के पूजन मंत्र

    1. ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।

    सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।

    2.या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

    देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।