Shardiya Navratri 2025 Day 1st: शारदीय नवरात्र के पहले दिन करें इस कथा का पाठ, सभी दुखों का होगा अंत
शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025 Day 1st) का पर्व मां दुर्गा को समर्पित है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ और उनकी विधिवत पूजा करने से नवरात्र व्रत का फल मिलता है तो आइए इस पावन कथा का पाठ करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का पर्व बहुत ही पावन माना जाता है। यह मां दुर्गा को समर्पित है। आज नवरात्र का पहला दिन है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ और उनकी विधिवत पूजा जरूर करनी चाहिए। इससे नवरात्र (Shardiya Navratri 2025 Day 1st) व्रत का पूरा फल मिलता है, तो आइए इस आर्टिकल में देवी की इस पावन कथा का पाठ करते हैं, जो इस प्रकार हैं -
मां शैलपुत्री की कथा (Maa Shailputri Vrat Katha)
एक बार की बात है, राजा दक्ष प्रजापति की एक बेटी थीं, जिनका नाम सती था। सती ने अपनी मर्जी से भगवान शिव से शादी की, लेकिन राजा दक्ष इस रिश्ते से खुश नहीं थे। इसी वजह से वो शिव जी और देवी सती से हमेशा नाराज रहते थे। एक दिन राजा दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ रखा और सभी देवी-देवताओं को बुलाया, लेकिन उन्होंने जान-बूझकर अपनी बेटी सती और दामाद शिव जी को निमंत्रण नहीं भेजा। जब देवी सती को इस यज्ञ के बारे में पता चला, तो वह बहुत बेचैन हो गईं और वहां जाने का विचार करने लगीं। हालांकि शिव जी ने उन्हें समझाया कि बिना बुलाए कहीं जाना ठीक नहीं होता, लेकिन वे फिर भी नहीं मानीं। अपनी जिद पर अड़ी सती को देखकर शंकर भगवान को उन्हें भेजना ही पड़ा। जब सती अपने पिता के घर पहुंचीं, तो वहां किसी ने भी उनसे अच्छे से बात नहीं की और उनके पिता ने भोलेनाथ का अपमान किया। यह सब देखकर देवी सती बहुत दुखी हुईं।
वे महादेव का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकीं। इसलिए गुस्से में आकर वहीं यज्ञ की अग्नि में कूद गईं। जब शिव जी को यह बात पता चली, तो वे बहुत दुखी और गुस्से में वहां पहुंचे और राजा दक्ष के यज्ञ को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।
इसके बाद फिर से देवी सती ने हिमालय राज की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। हिमालय को 'शैल' भी कहते हैं, इसलिए हिमालय की पुत्री होने के कारण देवी पार्वती को शैलपुत्री कहा जाने लगा।
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