Shardiya Navratri व्रत इन चीजों के सेवन से हो सकता है खंडित, जानें क्या खाएं और क्या नहीं?
आश्विन माह के शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) के पर्व को उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इस उत्सव की शुरुआत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। वहीं इसका समापन नवमी तिथि पर होता है। इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना कर साधक अपने जीवन को खुशहाल बनाते हैं। व्रत के दौरान खानपान के नियम का पालन जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। सभी दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर यानी आज से हो रही है। वहीं, इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। धार्मिक मान्यता है कि शारदीय नवरात्र व्रत के खानपान के नियम का पालन न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं कि शारदीय नवरात्र व्रत (Shardiya Navratri Vrat me kya khayen) में किन चीजों का सेवन कर सकते हैं?
इन चीजों का करें सेवन?
- शारदीय नवरात्र में सुबह मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिनभर व्रत रखें। व्रत के समय समा के चावल की खीर का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा इसकी खिचड़ी भी बनाई जा सकती है।
- व्रत थाली में साबूदाना भी शामिल किया जा सकता है। साबूदाने की खिचड़ी का सेवन कर सकते हैं।
- इसके अलावा आलू और साबूदाने की सब्जी, मूंगफली, आलू के चिप्स भी व्रत थाली में शामिल कर सकते हैं।
- शारदीय नवरात्र व्रत के लिए कुट्टू के आटे की रोटी भी बना सकते हैं। साथ ही थाली में फल, दूध और दही को शामिल किया जा सकता है।
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इन चीजों को न खाएं
- शारदीय नवरात्र व्रत में लहसुन और प्याज के सेवन से दूर रहना चाहिए।
- व्रत के भोजन में साधारण नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा गेहूं और चावल भी नहीं खाना चाहिए।
- सनातन धर्म में मांस और मदिरा के सेवन की मनाही है, तो ऐसे में शारदीय नवरात्र व्रत के दौरान इन चीजों का सेवन भूलकर भी न करें।
इस बात का रखें ध्यान
एक बात का विशेष ध्यान रखें कि इन चीजों का सेवन करने से पहले मां दुर्गा को भोग लगाएं। इसके बाद सेवन करें। भोग लगाते समय निम्न मंत्र का जप करें। माना जाता है कि मंत्र जप के बिना मां दुर्गा भोग स्वीकार नहीं करती हैं।
भोग मंत्र
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
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