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    Shardiya Navratri 2024: नवरात्र के पहले दिन पढ़ें मां शैलपुत्री की यह कथा, धन-दौलत में होगी वृद्धि

    Updated: Thu, 03 Oct 2024 08:32 AM (IST)

    शारदीय नवरात्र माता दुर्गा के 9 स्वरूपों को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग इस दौरान कठिन उपवास का पालन करते हैं और माता रानी की भक्ति भाव के साथ आराधना करते हैं उन्हें उनका पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही घर में खुशियों का आगमन होता है तो आइए इसके प्रथम दिन की कथा (First Day Maa Shailputri Katha) को यहां पढ़ते हैं।

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    Shardiya Navratri 2024: मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पर्व पूरे भारत में बड़ी धूमधाम और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है। यह नौ दिवसीय त्योहार अश्विन माह में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार यह (Shardiya Navratri 2024) 3 अक्टूबर यानी आज से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र का प्रथम दिन माता शैलपुत्री को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इसके प्रथम दिन देवी शैलपुत्री की पूजा भक्ति भाव के साथ करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

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    वहीं, इस दिन मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए, क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा रहता है, तो आइए कथा को पढ़ते हैं।

    मां शैलपुत्री की पूजा-व्रत कथा (First Day Maa Shailputri Katha)

    देवी भागवत पुराण के अनुसार, एक बार प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया, लेकिन उन्होंने भगवान शिव और पुत्री सती को नहीं बुलाया। उस समय मां सती ने भगवान शिव से यज्ञ में जाने का अनुरोध किया, लेकिन शिव जी नहीं माने। तब देवी सती ने स्वयं जाने की अनुमति ली, वहां पर अपने पति भगवान शंकर के अपमान से नाराज होकर, उन्होंने यज्ञ में कूदकर अपने उस शरीर की आहूति दे दी, जो उन्हें अपने पिता दक्ष से प्राप्त हुआ था। इससे कुपित हो कर महादेव के प्रथम गण वीर भद्र ने दक्ष का वध कर दिया। 

    इसके पश्चात देवी सती ने पर्वतराज हिमालय के घर में देवी पार्वती (माता शैलपुत्री) के रूप में जन्म लिया और पुन: भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।