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    Shardiya Navratri 2023: भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए मां ब्रह्माचारिणी ने ऐसे की थी पूजा, जानें पूरी कथा

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 16 Oct 2023 09:02 AM (IST)

    Shardiya Navratri 2023 आज नवरात्र का दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त देवी की सच्चे दिल से पूजा करते हैं मां उनके सभी कष्टों को हर लेती है। आज का दिन शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है।

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    Shardiya Navratri 2023

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क।Shardiya Navratri 2023: नवरात्र का पर्व मां दुर्गा के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इन नौ दिनों मां के नौ रूपों की पूजा का विधान है। आज नवरात्र का दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त देवी की सच्चे दिल से पूजा करते हैं मां उनके सभी कष्टों को हर लेती है। आज का दिन शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है।

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    नवरात्र का महत्व

    नवरात्र का महत्व बेहद धार्मिक है। आज नवरात्र का दूसरा दिन है, जो मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जिन्हें तपस्या की देवी माना जाता है। देवी ब्रह्मचारिणी अपने बाएं हाथ में कमंडल और दाहिने हाथ में माला धारण करती हैं। साथ ही वह सफेद साड़ी पहनती हैं। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा देवी के सबसे शांत और सुंदर रूपों में से एक है।

    यह भी पढ़ें : Navratri 2023: नवरात्रि के दूसरे दिन इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

    मां ब्रह्मचारिणी की कहानी

    शास्त्रों के अनुसार, देवी ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया था, जिन्हें पार्वती के नाम से जाना जाता है, फिर उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। पहले एक हजार वर्षों तक वो फल, फूल खाकर जीवित रही, इसके पश्चात एक हजार वर्ष तक वो जड़ी-बूटियों पर जीवित रही और उसके बाद एक हजार वर्ष तक उन्होंने केवल बेल पत्र के टूटे हुए पत्ते खाएं।

    इसके बाद उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया और अगले एक हजार वर्षों तक जीवित रहीं। देवी पार्वती के समर्पण को देखने के बाद, सभी देवताओं और सप्तर्षियों ने उन्हें भगवान शिव से शादी करने का आशीर्वाद दिया और उनका नाम अपर्णा रखा।

    मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र

    या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

    देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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