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    Navratri 2023: नवरात्रि के दूसरे दिन इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 15 Oct 2023 08:31 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि नवरात्रि के दूसरे दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान’चक्र में स्थिर रहता है। मां की महिमा निराली है। उनके मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है। इससे समस्त जगत आलोकित होता है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। मां की पूजा-उपासना करने से विद्या की प्राप्ति होती है। अतः मां ब्रह्मचारिणी को विद्या की देवी भी कहा जाता है।

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    Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shardiya Navratri 2023 Day 2: हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष 15 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्रि है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि पाने हेतु व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मां की पूजा-उपासना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक विधि विधान से नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। अगर आप भी मां ब्रह्मचारिणी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो इस विधि से मां की पूजा-उपासना करें। आइए जानते हैं-

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    यह भी पढ़ें- नवरात्रि के दूसरे दिन 'प्रीति' योग समेत बन रहे हैं ये 3 संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल

    स्वरूप

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि नवरात्रि के दूसरे दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान’चक्र में स्थिर रहता है। मां की महिमा निराली है। उनके मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है। इससे समस्त जगत आलोकित होता है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। मां की पूजा-उपासना करने से विद्या की प्राप्ति होती है। अतः मां ब्रह्मचारिणी को विद्या की देवी भी कहा जाता है।

    पूजा विधि

    नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें। इस समय आचमन कर शुद्ध करें। इसके पश्चात, नवीन वस्त्र धारण कर व्रत संकल्प लें। अब मां ब्रह्मचारिणी की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, चन्दन, कुमकुम आदि चीजों से करें। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री प्रिय है। अतः भोग में उन्हें लाल रंग के फल, चीनी और मिश्री अर्पित करें। पूजा के अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और आय वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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