Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा आज, इस समय दें चंद्रमा को अर्घ्य, नोट करें स्नान-दान मुहूर्त और पूजा विधि
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2025) आज यानी 06 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान है। वहीं इस पावन तिथि पर खीर बनाने और खाने की परंपरा है। कहते हैं कि इस दिन ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य करना चाहिए इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं, हिंदू धर्म में यह विशेष महत्व रखती है। यह वह पावन तिथि है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए इस दिन विधि-विधान से पूजा, स्नान और दान करने का विशेष महत्व है, तो आइए इस दिन (Sharad Purnima 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -
शरद पूर्णिमा स्नान-दान और चंद्रोदय समय (Sharad Purnima 2025 Snan-Daan Or Moon Rise Timing)
- ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
- लाभ-उन्नति मुहूर्त 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक
- चंद्रोदय का समय- शाम 05 बजकर 27 मिनट पर।
करें ये काम (Sharad Purnima 2025 Dos)
- शरद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करें या या घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- इस दिन सफेद वस्तुएं, चावल, दूध, चीनी, या वस्त्र का दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।
- चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ करें।
कोजागरी पूजा विधि (Sharad Purnima 2025 Puja Rituals)
- पूजा स्थान को साफ करें और एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं।
- मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद'' मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रात में चंद्रमा निकलने पर एक लोटे में दूध, जल, चावल और सफेद फूल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- खीर को रात भर खुले आसमान के नीचे रखें और अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
शरद पूर्णिमा पर खीर का धार्मिक महत्व और लाभ ( Significance And Benefits Of Kheer On Sharad Purnima)
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखने के पीछे धार्मिक मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं। जब खीर को पूरी रात खुले आसमान के नीचे रखा जाता है, तो ये किरणें खीर में प्रवेश कर जाती हैं, जिससे व्यक्ति को रोग-दोष से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
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