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    Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर, क्या है इसकी वजह?

    Updated: Wed, 16 Oct 2024 09:52 AM (IST)

    आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2024) का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है। दूसरी मान्यता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं। पूर्णिमा पर खीर (Sharad Purnima kheer) बनाने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इसके धार्मिक महत्व के बारे में।

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    शरद पूर्णिमा पर क्यों बनाते हैं खीर?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। आश्विन माह में मनाई जाने वाली पूर्णिमा (Ashwin Purnima 2024) को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैसे तो सभी पूर्णिमा का विशेष महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न, वस्त्र और धन का दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की रोशनी में खीर (Sharad Purnima 2024 Ki Kheer) को रखा जाता है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? अगर नहीं पता, तो इस लेख में हम आपको बताएंगे शरद पूर्णिमा और खीर (Sharad Purnima Par Kheer Kyon Bnate Hai) का क्या है कनेक्शन?

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    कब है शरद पूर्णिमा 2024?

    वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार शरद पूर्णिमा (Purnima Tithi) का पर्व आज यानी 16 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। वहीं, इसके अगले दिन यानी 17 अक्टूबर आश्विन पूर्णिमा का दान-पुण्य किया जाएगा।

    यह भी पढ़ें: Sharad Purnima 2024: कब और क्यों मनाई जाती है शरद पूर्णिमा, क्या हैं इस पर्व की मान्यताएं

    ये है वजह (Sharad Purnima Kheer Ka Mahatva)

    हर साल शरद पूर्णिमा के पर्व को धन की देवी मां लक्ष्मी का प्राकट्योत्‍सव के रूप में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी उत्‍पन्‍न हुई थीं। वहीं, दूसरी मान्यता है कि द्वापर युग में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने धवल चांदनी में महारास किया था। इससे चंद्र देव ने प्रसन्न होकर अमृत की वर्षा की थी। इसी वजह से शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है, जिससे उस खीर (Sharad Purnima Kheer Ka Mahatva) में अमृत मिल जाता है। अगले दिन इसका सेवन किया जाता है। धार्मिक मत है कि खीर (Sharad Purnima Kheer Benefits) का सेवन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातक पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखती हैं।

    शरद पूर्णिमा को कहते हैं कोजागिरी पूर्णिमा

    शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। विधिपूर्वक कोजागिरी व्रत और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के बाद लोगों में मखाने और बताशे का प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है। इस रात को कौड़ी खेलने की परंपरा को निभाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि समुद्र में से कौड़ी उत्पन्न होती है और कौड़ी मां लक्ष्मी को प्रिय है। इसी वजह से उनकी उपासना के दौरान साधक कौड़ी अर्पित करते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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