Shani Trayodashi 2024: शनि त्रयोदशी व्रत करने से पहले इन बातों को जानना है बेहद जरूरी, तभी मिलेगा व्रत का फल
शनि त्रयोदशी व्रत (Shani Trayodashi 2024) का दिन बेहद शुभ माना जाता है। शनिदेव महादेव के बहुत बड़े भक्त हैं। कहते हैं कि उनकी पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही शनि दोष का सामना कभी नहीं करना पड़ता है। इस बार शनि त्रयोदशी का व्रत 28 दिसंबर को रखा जाएगा तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में न्याय के देवता भगवान शनि की पूजा का अपना एक खास महत्व है। शनि त्रयोदशी व्रत का दिन भगवान शनि और भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शनि की पूजा करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस मौके पर शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें। हिंदू पंचांग के अनुसार, 28 दिसंबर को शनि त्रयोदशी (Shani Trayodashi 2024) का व्रत रखा जाएगा।
वहीं, इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन हर किसी को करना चाहिए, आइए उन नियमों के बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
शनि त्रयोदशी पर क्या करें? (Shani Trayodashi Dos)
- गंगा नदी में पवित्र स्नान करें।
- इस दिन कठिन व्रत का पालन करें।
- शनिदेव के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें।
- पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- इस दिन दान-पुण्य करना पुण्यदायी माना जाता है।
- इस दिन काले तिल और काली उड़द का दान करें।
- इसके साथ ही इस मौके पर छाया का दान करना भी शुभ माना जाता है।
- वहीं, इस शुभ दिन पर ब्रह्मचर्य बनाए रखें और सात्विक भोजन से अपना व्रत खोलें।
शनि त्रयोदशी पर क्या न करें (Shani Trayodashi Donts)
- किसी का अपमान न करें और किसी के साथ बुरा व्यवहार न करें।
- अगर आप भगवान शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो मांस खाने और शराब पीने से बचें।
- अभद्र भाषा का प्रयोग न करें।
- तामसिक चीजों से परहेज करें।
- महिलाओं का गलती से भी अपमान न करें।
शनि त्रयोदशी डेट और शुभ मुहूर्त (Shani Trayodashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 28 दिसंबर, 2024 को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर होगी। वहीं, इसका अंत 29 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 32 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 28 दिसंबर को शनि त्रयोदशी का व्रत रखा जाएगा।
इस दिन गोधूलि बेला की पूजा का महत्व है। इस दिन की पूजा शाम 05 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 17 मिनट तक के बीच होगी।
यह भी पढ़ें: Nirbhara Bhakti: भक्ति को पाने के बाद भी कुछ पाना बाकी न रहे, तो वह निर्भरा भक्ति है
अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।