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    Pradosh Vrat 2025 Date: कब है साल का पहला प्रदोष व्रत? नोट कर लें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 10 Dec 2024 06:30 PM (IST)

    प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। शनि प्रदोष व्रत (Shani Trayodashi 2025) करने से साधक को जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। शनि प्रदोष पर एक साथ कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

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    Pradosh Vrat 2025 Date: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत पर्व भगवान शिव को समर्पित है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि प्रदोष व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही साधक के सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, जनवरी महीने में पड़ने वाले पहले प्रदोष व्रत की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी। वहीं, 12 जनवरी को सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः शनिवार 11 जनवरी को शनि प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल यानी पूजा का समय संध्याकाल 05 बजकर 43 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 26 मिनट तक है। इस दौरान साधक भगवान शिव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

    योग

    ज्योतिषियों की मानें तो शनि त्रयोदशी पर सबसे पहले शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दिन में 11 बजकर 49 मिनट तक है। इसके बाद ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग पूर्ण रात्रि तक है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। शिववास योग पूर्ण रात्रि तक है। इन योग में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 43 मिनट पर

    चन्द्रोदय- दोपहर 03 बजे से

    चंद्रास्त- प्रात: काल 05 बजकर 52 मिनट पर (12 जनवरी)

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से 02 बजकर 56 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 08 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।