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    Shani Dev Puja: शनि दोष से मिलेगी मुक्ति, इस विधि से पढ़ें शनिदेव की स्तुति

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sat, 02 Dec 2023 07:00 AM (IST)

    Shani Dev शनि दोष के प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन भगवान शनि की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही इसके कष्ट को दूर करने के लिए शनि देव की स्तुति का पाठ करना चाहिए। कहा जाता जो लोग ऐसा प्रत्येक शनिवार करते हैं उनके ऊपर से शनि दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। तो आइए पढ़ते हैं शनिदेव की स्तुति जो इस प्रकार है-

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    Shani Dev Puja: शनि दोष से मिलेगी मुक्ति

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Dev Puja: भगवान शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिनकी कुंडली में साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष का प्रभाव है, तो उन्हें शनिवार के दिन भगवान शनि की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही इसके कष्ट को दूर करने के लिए शनि देव (Shani Dev) की स्तुति का पाठ करना चाहिए।

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    कहा जाता, जो लोग ऐसा प्रत्येक शनिवार करते हैं, उनके ऊपर से शनि दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। तो आइए यहां पढ़ते हैं शनिदेव की स्तुति, जो इस प्रकार है-

    शनिदेव की स्तुति

    नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।

    नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥॥

    नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।

    नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥॥

    नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।

    नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥॥

    नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।

    नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥॥

    नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।

    सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥॥

    अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।

    नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥॥

    तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।

    नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥॥

    ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।

    तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥॥

    देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।

    त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥॥

    प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।

    एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥॥

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    शनिदेव पूजा विधि

    • शनिवार के दिन उपवास रखें।
    • व्रत की शुरुआत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से करें।
    • व्रत के दिन पवित्र स्नान करें और इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
    • एक लकड़ी की चौकी पर शनि यंत्र स्थापित करें।
    • भगवान शनि को पंचामृत से स्नान करवाएं।
    • फूलों की माला अर्पित करें।
    • फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
    • तिल के तेल या फिर सरसों के तेल का दीया जलाएं।
    • भगवान शनि की स्तुति का पाठ करें।
    • पूजा का समापन शनिदेव की आरती से करें।
    • शनि पूजन के बाद असहाय लोगों को भोजन अवश्य कराएं।
    • व्रत का पारण काली उड़द की दाल की खिचड़ी से करें।

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